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________________ १८०२ आउक्काइय एगिंदिया पओगपरिणया एवं चेव। एवं दुयओ भेओ जाव वणस्सइकाइया य एगिंदियपओगपरिणया। प. बेइंदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! अणेगविहा पण्णत्ता। एवं तेइंदिय चरिंदिय पओगपरिणया वि। प. पंचिंदियपओगपरिणयाणं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा १. नेरइयपंचिंदियपओगपरिणया, २. तिरिक्खजोणिय पंचिंदियपओगपरिणया, ३. मणुस्सपंचिंदियपओगपरिणया, ४. देवपंचिंदियपओगपरिणया। प. नेरइयपंचिंदियपओगपरिणयाणं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! सत्तविहा पण्णत्ता,तं जहा १. रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियपओगपरिणया वि जाव७. अहेसत्तमपुढविनेरइयपंचिंदियपओगपरिणया वि। द्रव्यानुयोग-(३) इसी प्रकार अपकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल भी दो प्रकार के हैं। इसी प्रकार वनस्पतिकायिक पर्यंत एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल के भी दो-दो प्रकार कहने चाहिए। प्र. भंते ! बेइन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं? उ. गौतम ! अनेक प्रकार के कहे गए हैं। इसी प्रकार तेइन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गलों के लिए भी जानना चाहिए। प्र. भंते ! पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उ. गौतम ! चार प्रकार के कहे गये हैं, यथा १. नारक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत, २. तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत, ३. मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत, ४. देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत। प्र. भंते ! नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं? उ. गौतम ! वे सात प्रकार के कहे गये हैं, यथा १. रत्नप्रभापृथ्वी नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल यावत्७. अधःसप्तमपृथ्वी नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल। प्र. भंते ! तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रियप्रयोग परिणत-पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उ. गौतम ! वे तीन प्रकार के कहे गये हैं, यथा १. जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल, २. स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल, ३. खेचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल। प्र. भंते ! जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उ. गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. संमूर्छिम जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल, २. गर्भज जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल। प्र. भंते ! स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उ. गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल, २. परिसर्प स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल। प. तिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणयाणं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा !तिविहा पण्णत्ता,तं जहा १. जलयर तिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणया य, २. थलयर तिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणया य, ३. खहयर तिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणया य। प. जलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणयाणं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय पओगपरिणया य, २. गब्भवक्कंतिय जलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय पओगपरिणया य, प. थलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणयाणं भंते ! ___पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय पओगपरिणया य, २. परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय पओगपरिणया य।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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