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________________ पुद्गल अध्ययन २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ३.सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, ४. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, ५.सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, ६. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ७. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, ८. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, ९. सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, १०.सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ११.सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १२. सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, - १७६९ ) २. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वशीत और सर्वरुक्ष होता है, ३. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वउष्ण और सर्वस्निग्ध होता है, ४. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वउष्ण और सर्वरुक्ष होता है। ५. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वलघु, सर्वशीत और सर्वस्निग्ध होता है। ६. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वलघु, सर्वशीत और सर्वरुक्ष होता है। ७. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वलघु, सर्वउष्ण और सर्वस्निग्ध होता है। ८. कदाचित् सर्वकर्कश, सर्वलघु, सर्वउष्ण और सर्वरुक्ष होता है। ९. कदाचित् सर्वमृदु (कोमल), सर्वगुरु, सर्वशीत और सर्वस्निग्ध होता है। १०. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वगुरु, सर्वशीत और सर्वरुक्ष होता है। ११. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वगुरु, सर्वउष्ण और सर्वस्निग्ध होता है। १२. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वगुरु, सर्वउष्ण और सर्वरुक्ष होता है। १३. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वलघु, सर्वशीत और सर्वस्निग्ध होता है। १४. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वलघु, सर्वशीत और सर्वरुक्ष होता है। १५. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वलघु, सर्वउष्ण और सर्वस्निग्ध होता है। १६. कदाचित् सर्वमृदु, सर्वलघु, सर्वउष्ण और सर्वरुक्ष होता है। इस प्रकार ये सोलह भंग होते हैं। यदि पाँच स्पर्श वाला हो तो१. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वशीत, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। २. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वशीत, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ३. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वशीत, अनेक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। ४. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वशीत, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ५-८. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वउष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है, इनके चार भंग होते हैं। ९-१२. सर्वकर्कश, सर्वलघु, सर्वशीत, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है, इनके भी चार भंग होते हैं। १३.सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, १४. सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, 2. सव्व मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १६.सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, एए सोलस भंगा। जइ पंचफासे१. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा , ३. सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा , ५-८. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्ये उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, ९-१२. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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