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________________ पुद्गल अध्ययन १९. सिय कालगा व नीलगे य लोहियगे व हालिगा व सुक्किलगाय २०. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्ल २१. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किल्लगाय २२. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिद्दगा य सुकिल्लगे य २३. सिय कालगा य नीलगा व लोहियए य हालिदए य सुकिल्लगे य २४. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिदए य सुक्किलगाय २५. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किल्लए य २६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य एए पंचगसंजोएणं छव्वीसं भंगा भवंति, एवामेव सपुव्वावरेणं सपुव्यावरेण एकग- दुयग-तियग-चडकगपंचगसंजोगेहिं दो एकतीसं भंगसया भवति । गंधा जहा - सत्तपएसियस्स । रसा जहा- एयस्स चेव वन्नां । फासा जहा- चउप्पएसियस्स । प. नवपएसिए णं भंते! खंधे कयण्णे कइगंधे, कइरसे कइफासे पण्णत्ते ? उ. गोयमा सिय एगवत्रे जहा अट्ठपएसिए जाब सिय चउफासे पण्णते। एगवन्न दुवन तिवन्न चयना जहेव अट्ठपएसियस्स । , जइ पंचवन्ने १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्ल २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगाय एवं परिवाडीए एकतीस भंगा माणिपव्या जाव ३१. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किल्लए य एए एक्कत्तीस भंगा। एवं एकग-दुयग-तियग- चउकग पंचग-संजोगेहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति । १७६७ १९. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल, अनेक अंश पीले और अनेक अंश श्वेत होते हैं। २०. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। २१. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल, एक अंश पीला और अनेक अंश श्वेत होते हैं। २२. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल, अनेक अंश पीले और एक अंश श्वेत होता है। २३. कदाचित अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। २४. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल, एक अंश पीला और अनेक अंश श्वेत होते हैं। २५. कदाचित अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल, अनेक अंश पीले और एक अंश श्वेत होता है। २६. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, अनेक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। इस प्रकार पंचसंयोगी के छब्बीस भंग होते हैं। इसी प्रकार वर्ण के क्रमशः असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिसंयोगी ८०, चतु:संयोगी ८० और पंच संयोगी २६ यों कुल मिलाकर २३१ भंग होते हैं। गन्ध के ६ भंग सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं। रस के २३१ भंग भी इसी के वर्ण के समान कहने चाहिए। स्पर्श के ३६ भंग चतुष्यदेशी स्कन्ध के समान कहने चाहिए। (इस प्रकार अष्ट प्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के २३१, गंध के ६, रस के २३१ और स्पर्श के ३६, कुल मिलाकर ५०४ भंग होते हैं ।) प्र. भंते ! नव-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है ? उ. गौतम ! अष्टप्रदेशी स्कन्ध के समान, कदाचित् एक वर्ण यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है। एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण और चार वर्ण के भंगों का कथन अष्टप्रदेशी स्कन्ध के समान है। यदि पाँच वर्ण वाला हो तो १. कदाचित् काला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है। २. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, एक अंश लाल, एक अंश पीला और अनेक अंश श्वेत होते हैं। इस प्रकार इसी क्रम से (एक-अनेक की अपेक्षा) ३१. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, अनेक अंश लाल, अनेक अंश पीले और एक अंश श्वेत होता हैं। पर्यन्त इकतीसवाँ भंग कहना चाहिए। इस प्रकार वर्ण के क्रमशः असंयोगी ५, द्विक-संयोगी ४०, त्रिसंयोगी ८० तु संयोगी ८० और पंच-संयोगी ३१ ये सब मिलाकर वर्ण सम्बन्धी २३६ भंग होते हैं।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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