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________________ १७६४ ५. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, ६. सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिद्दगा य, . ७.सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य, ८.सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, ९.सिय कालगाय नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, १०.सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, द्रव्यानुयोग-(३) ५. कदाचित् एक अंश काला, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल और एक अंश पीला होता है, ६. कदाचित् एक अंश काला, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल और अनेक अंश पीले होते हैं। ७. कदाचित् एक अंश काला, अनेक अंश नीले, अनेक अंश लाल और एक अंश पीला होता है। ८. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल और एक अंश पीला होता है, ९. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल और अनेक अंश पीले होते हैं, १०.कदाचित् अनेक अंश काले,एक अंश नीला, अनेक अंश लाल और एक अंश पीला होता है। ११. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल और एक अंश पीला होता है। इस प्रकार चतुःसंयोगी के ग्यारह भंग होते हैं। इसी प्रकार पाँच चतुःसंयोगी के भंग करने चाहिए। प्रत्येक संयोगी के ग्यारह-यारह भंग होते हैं। चतुःसंयोगी के सब मिलाकर पचपन (११४५ = ५५) भंग होते हैं। यदि वह पाँच वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है। ११.सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, एए एक्कारसभंगा, एवमेए पंचचउक्कसंजोगा कायव्वा, एकेकसंजोए एक्कारसभंगा, सव्वेते चउक्चगसंजोगेणं पणपन्न भंगा। जइ पंचवन्ने१. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगाय, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगे य हालिद्दगा य सुकिल्लगे य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य, ५. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य, ६. सिय कालगा य नीलए य लोहियए हालिद्दए य सुकिल्लए य, एवं एए छब्मंगा भाणियव्वा, एवमेए सव्वेवि एक्कक-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवइ। २. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, एक अंश लाल, एक अंश पीला और अनेक अंश श्वेत होते हैं। ३. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, एक अंश लाल, अनेक अंश पीले और एक अंश श्वेत होता है। ४. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। ५. कदाचित् एक अंश काला, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। ६. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। इस प्रकार ये छह भंग कहने चाहिए। इस प्रकार असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४0, त्रिकसंयोगी ८०, चतुःसंयोगी ५५ और पंचसंयोगी ६ यों सब मिलाकर वर्ण सम्बन्धी १८६ भंग होते हैं। गन्ध सम्बन्धी छह भंग पंच प्रदेशी स्कन्ध के समान कहने चाहिए। रस के भंग भी इसी के (वर्ण के) समान (१८६ भंग) कहने चाहिए। स्पर्श सम्बन्धी (३६ भंग) चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान जानने चाहिए। (इस प्रकार षट्प्रदेशीस्कन्ध में वर्ण के १८६, गंध के ६, रस के १८६ और स्पर्श के ३६ सब मिलाकर ४१४ भंग होते हैं।) प्र. भंते ! सप्त-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है? गंधा जहा-पंचपएसियस्स। रसा जहा-एयस्स चेव वन्ना। फासा जहा-चउप्पएसियस्स। प. सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पण्णते?
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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