SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 308
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुद्गल अध्ययन १७६३ एए पंच भंगा, ६-१०.सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किल्लए य एत्थवि पंच भंगा, ११-१५.एवं कालग-नीलग-हालिद्द-सुक्किल्लएस वि पंच भंगा, १६-२०. कालग-लोहिय-हालिद्द-सुक्किल्लएसु वि पंच भंगा, २१-२५. नीलग-लोहिय-हालिद्द-सुक्किल्लएसु वि पंच भंगा, एवमेए चउक्कसंजोएणं पणवीसं भंगा। जइ पंचवन्नेकालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किल्लए य। सव्वमेए एक्कग दुयग तियग चउक्क पंचग संजोगेणं ईयालं भंगसयं भवइ। गंधा जहा-चउप्पएसियस्स। रसा जहा-वना। फासा-जहा-चउप्पएसियस्स। प. छप्पएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते। इस प्रकार चतुःसंयोगी के ये पाँच भंग होते हैं। ६-१०. कदाचित् काले, नीले, लाल और श्वेत के भी पाँच भंग होते हैं। ११-१५. इसी प्रकार-काले, नीले, पीले और श्वेत के भी पाँच भंग होते हैं। १६-२०. काले, लाल, पीले और श्वेत के भी पाँच भंग होते हैं। २१-२५. नीले, लाल, पीले और श्वेत के भी पाँच भंग होते हैं। इस प्रकार चतुःसंयोगी के पच्चीस भंग होते हैं। यदि वह पाँच वर्ण वाला हो तोकाला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है। । इस प्रकार असंयोगी ५. द्विकसंयोगी ४0, त्रिकसंयोगी ७०, चतुःसंयोगी २५ और पंचसंयोगी का एक ये सब मिलकर वर्ण के १४१ भंग होते हैं। गन्ध के चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान ६ भंग होते हैं। वर्ण के समान रस के भी १४१ भंग होते हैं। स्पर्श के ३६ भंग चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं। (इस प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के १४१, गंध के ६, रस के १४१ और स्पर्श के ३६ से सब कुल ३२४ भंग होते हैं।) प्र. भंते ! षट्-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! जिस प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध के लिए कहा उसी प्रकार यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला भी जानना चाहिए। यदि एक वर्ण और दो वर्ण वाला हो तो (एक वर्ण के ५ और दो वर्ण के ४ भंग) पंच-प्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं। यदि तीन वर्ण वाला हो तो१-७. कदाचित् काला, नीला और लाल होता है। यावत् कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले और एक अंश लाल होता है, ये पंच-प्रदेशिक स्कन्ध के समान सात भंग कहने चाहिए। ८. कदाचित् अनेक अंश काले, नीले और लाल होते हैं यह आठवाँ भंग है। इस प्रकार त्रिकसंयोगी के दस भंग होते हैं, प्रत्येक संयोग आठ-आठ भंग वाला होता है। इस प्रकार सभी त्रिकसंयोगी के कुल अस्सी भंग होते हैं। यदि चार वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला, नीला, लाल और पीला होता है, २. कदाचित् एक अंश काला, नीला और लाल होता है तथा अनेक अंश पीले होते हैं, ३. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल और एक अंश पीला होता है, . ४. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल और अनेक अंश पीले होते हैं, एगवन्ना दुवन्ना जहा-पंचपएसियस्स। जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य, एवं जहेव पंचपएसियस्स सत्तभंगा जावसिय कालगा य नीलगा य लोहियए य७, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य ८, एए अट्ठ भंगा, एवमेए दस तियासंजोगा, एक्केक्कए संजोगे अट्ठ भंगा, एवं सव्वे वितियगसंजोगे असीइ भंगा। जइ चउवन्ने१. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy