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________________ १७२० ५. नो अचरिमाई, ६. नो अवत्तव्वयाई, ७. नो चरिमे य अथरिमेय. ८. नो चरिमे य अचरिमाई च. ९. सिय चरिमाइं च अचरिमेय, १०. सिय चरिमाई व अचरिमाई च ११. सिय चरिमे य अवत्तव्वए य, ०० १२. सिय चरिमे व अवत्तव्ययाई च प. पंचपएसिए णं भंते! खधे १३. नो चरिमाई व अवत्तव्यए य १४. नौ चरिमाई च अवत्तव्यवाई च १५. नो अचरिमे य अवत्तव्वए य, १६. नो अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च, १७. नो अचरिमाई च अवत्तव्वए य, १८. नो अचरिमाई व अवत्तव्यवाई च १९. नो चरिमे य अचरिमेय अवत्तव्यए य २०. नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्यवाई चा २१. नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वए य, २२. नो वरिये य अचरिमाई व अवत्तव्यवाई च २३. सिय चरिमाई च अचरिमे य अवत्तव्यए य २४-२६. सेसा (३) मंगा पडिसेहेयव्या । - १. सिय चरिमे, २. नो अचरिमे, ० ०० ० ० ० ००० किं १. चरिमे जाव २६. उदाहु चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तब्वयाई च ? उ. गोयमा ! पंचपएसिए णं बंधे ३. सिय अवत्तव्वए, ४. नो चरिमाईं, ५. नो अचरिमाई, ६. नो अवत्तव्ययाई, ७. सिय चरिमे य अचरिमे य, ००० न द्रव्यानुयोग - ( ३ ) ५. (बहुवचन से) अचरम नहीं है. ६. (बहुवचन से ) अवक्तव्य नहीं हैं, ७. (एकवचन से) (वह) चरम और अचरम नहीं है, ८. वह (एकवचन से) चरम नहीं है, बहुवचन से अचरम है, ९. कथंचित् ( बहुवचन से) चरम और (एकवचन से) अचरम है, १०. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और अचरम हैं, ११. कथंचित् (एकवचन से) चरम और अवक्तव्य है, १२. कथंचित् (एकवचन से) चरम और ( बहुवचन से ) अवक्तव्य है, १३. वह (बहुवचन से) चरम नहीं हैं और (एकवचन से ) अवक्तव्य है, १४. वह (बहुवचन से) चरम और अवक्तव्य नहीं हैं, १५. वह (एक वचन से ) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, १६. वह (एक वचन से) अचरम नहीं है और (बहुवचन से ) अवक्तव्य है, १७. वह (बहुवचन से) अचरम नहीं हैं और (एक वचन से) अवक्तव्य है, १८. वह (बहुवचन से) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, १९. वह ( एक वचन से) चरम, अचरम और अवक्तव्य नहीं है, २०. वह (एक वचन से) चरम और अचरम नहीं है (बहुवचन से) अवक्तव्य हैं, २१. वह (एक वचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम नहीं हैं तथा (एक वचन से ) अवक्तव्य है, २२. वह (एक वचन से) चरम नहीं है और (बहुवचन से ) अचरम तथा अवक्तव्य हैं, २३. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और (एक वचन से) अचरम तथा अवक्तव्य है, २४-२६. शेष (तीन) भंगों का निषेध करना चाहिए। प्र. भन्ते ! पंचप्रदेशिक स्कन्ध क्या ( एक वचन से) चरम है यावत् २६ अथवा (बहुवचन से ) चरम, अचरम और अवक्तव्य हैं ? उ. गौतम ! पंचप्रदेशिक स्कन्ध १. कथंचित् (एक वचन से) चरम है, २. अचरम नहीं है, ३. कथंचित् अवक्तव्य है, ४. वह (बहुवचन से) चरम नहीं है. ५. अचरम नहीं है, ६. अवक्तव्य नहीं है, ७. कथंचित् (एक वचन से) चरम और अचरम है,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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