SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६८४ एवं जाव अच्चुए। गेवेज्जाणं आदिल्ला तिन्नि समुग्घाया पण्णत्ता।' -जीवा. पडि.३, सु. २०३ ९. चउवीसदंडएसु एगत्तपुहत्तेहिं अतीतानागयसमुग्घाय परूवणं प. दं. १. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स केवइया वेयणासमुग्घाया अतीता? उ. गोयमा ! अणंता। प. भंते ! केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा ! कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थि। जस्सऽस्थि जहण्णेणं एक्को वा, दोवा, तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा,असंखेज्जा वा,अणंता वा। द. २-२४. एवं असुरकुमारस्स वि निरंतर जाव वेमाणियस्स। एवं जाव तेजस्समुग्घाए। एवं एए पंच चउवीसा दंडगा। प. दं. १. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया आहारगसमुग्धाया अतीता? उ. गोयमा !कस्सइ अस्थि, कस्सइणत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा, दो वा, उक्कोसेणं तिण्णि। प. भंते ! केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा ! कस्सइ अस्थि,कस्सइणत्थि। जस्सऽस्थि जहण्णेणं एक्को वा, दो वा, तिण्णि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। दं.२-२४. एवं निरंतरंजाव वेमाणियस्स। द्रव्यानुयोग-(३) इसी प्रकार अच्युत देवलोक के देवों तक पाँच समुद्घात समझने चाहिए। ग्रैवेयकों में आदि के तीन (वेदना, कषाय, मारणांतिक) समुद्घात कहे गए हैं। ९. चौबीस दंडकों में एकत्व-बहुत्व द्वारा अतीत अनागत समुद्घातों का प्ररूपणप्र. दं. १. भंते ! एक-एक नारक के अतीत में कितने वेदनासमुद्घात हुए हैं ? उ. गौतम ! वे अनन्त हुए हैं। प्र. भंते ! वे भविष्य में कितने होने वाले हैं ? उ. गौतम ! किसी के होंगे और किसी के नहीं होंगे। जिसके होंगे, उसके जघन्य एक, दो या तीन होंगे और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त होंगे। द. २४. इसी प्रकार असुरकुमार से लेकर वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। इसी प्रकार तैजस्समुद्घात पर्यन्त जानना चाहिए। इसी प्रकार ये पाँचों समुद्घात चौवीस दण्डकों में जानने चाहिए। प्र. दं. १. भंते ! एक-एक नारक के अतीत में कितने आहारकसमुद्घात हुए हैं? उ. गौतम ! किसी के हुए हैं और किसी के नहीं हुए हैं। जिसके हुए हैं, उसके जघन्य एक या दो हुए हैं और उत्कृष्ट तीन हुए हैं। प्र. भंते ! भविष्य में कितने होने वाले हैं ? उ. गौतम ! किसी के होंगे और किसी के नहीं होंगे। जिसके होंगे उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार समुद्घात होंगे। दं. २-२४. इसी प्रकार निरन्तर वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। विशेष-मनुष्य के अतीत और अनागत आहारक समुद्घात नारक के अनागत आहारक समुद्घात के समान जानना चाहिए। प्र. दं. १. भंते ! एक-एक नारक के कितने केवलिसमुद्घात व्यतीत हुए हैं? उ. गौतम ! एक भी (केवलि समुद्घात) व्यतीत नहीं हुआ है। प्र. भंते ! भविष्य में कितने होने वाले हैं? उ. गौतम ! किसी के होगा और किसी के नहीं होगा जिसके होगा उसके एक ही होगा। दं.२-२४. इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कथन करना चाहिए। विशेष-द.२१. किसी मनुष्य के अतीत में केवलिसमुद्घात हुआ है किसी के नहीं हुआ है, जिसके हुआ है उसके एक ही हुआ है। णवरं-मणूसस्स अतीता वि, पुरेक्खडा वि जहा णेरइयस्स पुरेक्खडा। प. द. १. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स केवइया केवलिसमुग्धाया अतीता? उ. गोयमा ! णत्थि। प. भंते ! केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा !कस्सइ अस्थि,कस्सइ णस्थि। जस्सऽस्थि एक्को। दं.२-२४.एवं जाव वेमाणियस्स। णवर-दं. २१. मणूसस्स अतीता कस्सइ अत्थि, कस्सइ णत्थि। जस्सऽस्थि एक्को। १. प. गेवेज्जाणं भंते !देवाणं कइ समुग्घाया पण्णता? उ. गोयमा !पंच समुग्घाया पण्णत्ता-तं जहा १. वेयणासमुग्घाए जाव तेजस्समुग्घाए। णो चेव वेउव्वियसमुग्घाए वा, तेजस्समुग्घाए वा, समोहणिंसुवा, समोहण्णंति वा, समोहणिस्संति वा। -जीवा. पडि.३, सु.१११२-१११३ (तेरा.)
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy