SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गम्मा अध्ययन १६०१ वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक देवों के दण्डकों में उत्पद्यमान तिर्यञ्च एवं मनुष्यों का भी उत्पाद आदि द्वारों के माध्यम से निरूपण हुआ है। वैमानिकों के अन्तर्गत सौधर्म देवों में उत्पन्न होने वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों एवं मनुष्यों का पृथक्तया वर्णन है तथा ईशान से सहस्रार पर्यन्त उत्पद्यमान तिर्यञ्चयोनिकों एवं मनुष्यों का एक साथ वर्णन है। आनत से अच्युत तक तथा कल्पातीत देवों (नवग्रैवेयक एवं अनुत्तरविमान) में उत्पन्न होने वाले मनुष्यों का २० द्वारों से पृथक्रूपेण वर्णन है। इस अध्ययन में निरूपित वर्णन विभिन्न दण्डकों के जीवों की विशेषताओं को अभिव्यक्त करने के साथ उनकी अन्यत्र होने वाली उत्पत्ति से सम्बद्ध विशेषताओं को भी प्रदर्शित करता है। इससे जीवों की विभिन्न अवस्थाओं का ज्ञान होता है। २० द्वारों के निरूपण में यत्र-तत्र नौ गमकों का भी प्रयोग हुआ है। ये नौ गमक ओघ, जघन्य एवं मध्यम स्थितियों के कारण बने हैं। जो तत्त्वजिज्ञासु इस अध्ययन में वर्णित विषय-सामग्री के सम्बन्ध में अधिक जानना चाहें वे भगवती सूत्र के चौबीसवें शतक की टीका या वृत्ति का अनुशीलन करें तो उपयुक्त रहेगा। 00
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy