SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 806
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्रव्य का अर्थ है-वह ध्रुव स्वभावी तत्त्व, जो विभिन्न पर्यायों को प्राप्त करता हुआ भी अपने मूल गुण को नहीं छोड़ता। मूल तत्व दो हैं-जीव और अजीवा इन दो तत्त्वों का विस्तार है-पंचास्तिकाय, षड्द्रव्य, नवतत्व आदि| विभिन्न दृष्टियों और भिन्न-भिन्न शैलियों से जीव (चेतन) तथा अजीव (जड़) की व्याख्या तथा वर्गीकरण जिसमें हो उसे द्रव्यानुयोग कहा जाता है। आगमों के चार अनुयोगों में द्रव्यानुयोग का विषय सबसे विशाल और गम्भीर माना जाता है। द्रव्यानुयोग का सम्यक्ज्ञाता "आत्मज' कहा जाता है और अविकल समग्र रूप में परिज्ञाता-"सर्वज्ञ"| | द्रव्यानुयोग सम्बन्धी आगम पाठों का मूल एवं हिन्दी अनुवाद के साथ विषय क्रम से वर्गीकरण करके सहज, सुबोध और सुग्राह्य बनाने का भगीरथ प्रयत्न है-द्रव्यानुयोग का प्रकाशना जैन साहित्य के इतिहास में इतना महान् और व्यापक प्रयास पहली बार हुआ है। श्रुतज्ञान के अभ्यासी पाठकों के लिए यह अद्वितीय और अद्भुत उपक्रम है, जोशताब्दियों तक स्मरणीय रहेगा। सम्पूर्ण द्रव्यानुयोग के विषय को तीन खण्डों तथा 70 उपखण्डों (अध्ययनों) में विभक्त किया गया है। जिनके अन्तर्गत उन विषयों से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न आगम पाठों को एकत्र संग्रहीत कर सुव्यवस्थित रूप दिया गया है। लगभग 2600 पृष्ठ। इससे पूर्व-धर्म कथानुयोरा, गणितानुयोग तथा चरणानुयोग–कुल 5 भागों एवं लगभग 3500 पृष्ठों में प्रकाशित हो चुके हैं। अनुयोग सम्पादन का यह अतीव श्रमसाध्य कार्य मानसिक एकाग्रता, सतत अध्ययन/अनुशीलन-निष्ठा और सम्पूर्ण समर्पित भावना के साथ सम्पन्न किया है-अनुयोग प्रवर्तक उपाध्याय प्रवर मुनिश्री कन्हैयालाल म. “कमल" ने! लगभग 50 वर्ष की सुदीर्घ सतत्र श्रुत उपासना के बल पर अब जीवन के नौवें दशक में आपश्री ने इस कार्य को सम्पन्नता प्रदान की है। इस श्रुत-सेवा में आपश्री के महान् सहयोगी, समर्पित सेवाभावी, एकनिष्ठ कार्यशील श्री विनय मुनिजी “वागीश" का अपूर्व सहयोग चिरस्मरणीय रहेगा। आगम अनुयोग ट्रस्ट, अहमदाबाद के निष्ठावान, समर्पित जिनभक्त अधिकारीगण तथा उदारमना श्रुत-प्रेमी सदस्य-सद्गृहस्थों के सहयोग के बल पर यह अति व्ययवसाध्य कार्य सम्पन्न हुआ है। चारों अनुयोगों के ये आठ विशाल ग्रन्थ-एक-एक करके खरीदने पर 2,350/- रुपया का सेट पड़ेगा। किन्तु ट्रस्ट के सदस्य बनने वालों को मात्र 1,500/- रुपयों में ही दिया जायेगा। अब तक प्रकाशित चार अनुयोग धर्मकथानुयोग (भाग 1,2) मूल्य: 500/- चरणानुयोग (भाग-१:२) मूल्य : ५००/गणितानुयोग मूल्य: 300/- द्रव्यानुयोग (भाग-१,२,३) मूल्य : 900/ सम्पर्क सूत्र आगम अनुयोग ट्रस्ट 15, स्थानकवासी सोसायटी, नारायणपुरा क्रासिंग के पास, अहमदाबाद-३८०००१३ मुद्रणः आंगम अनुयोग ट्रस्ट, अहमदाबाद के लिए, श्रीचन्द सुराना 'सरस' के निर्देशन में राजेश सुराना, दिवाकर प्रकाशन, २०८/२/ए-७, अवागढ़ हाउस, एम. जी. रोड, आगरा-२ फोन: 54328,51789 द्वारा आगरा में मुद्रिता
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy