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१०६. चउवीसदंडएसु सयं उववज्जण परूवणं
प. दं. १. सयं भंते! नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, असयं नेरइया नेरइएस उववज्जंति ?
उ. गंगेया ! सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं नेरइया नेरइएस उववज्र्ज्जति ।
प. से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ
"सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति ?”
उ. गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मरुयत्ताए कम्मभारियत्ताए कम्मगुरुसंभारियताए असुभाणं कम्माणं उदएण असुभाणं कम्माणं वियागेणं, असुभाणं कम्माण फलवियागेणं सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएस उववज्जति,
से तेणद्वेणं गंगेया ! एवं वुच्चइ
“सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति नो असयं नेरइया नेरइएस उववज्जति।"
प. बं. २ सयं भंते ! असुरकुमारा असुरकुमारेसु उवयञ्जति असयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उययति ?
"
उ. गंगेया ! सयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जंति, नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जति । प से कैणणं भते ! एवं युच्चइ
"सवं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उवयञ्जति नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उबवजति ?" उ. गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मविगतीए कम्मविसोहीए कम्मविसुद्ध
सुभाणं कम्माणं उदएणं,
सुभाणं कम्माणं विवागेणं,
सुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जति,
नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जति । से तेणेंद्रेण गंगेया ! एवं बुच्चइ
"सयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जति नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जति।" दं. ३-११. एवं जाव धणियकुमारा।
प. बं. १२ सयं भंते! पुढविकाइया पुढविकाइयत्ताए उववज्जति असयं पुढविकाइया पुढविकाइयत्ताए उययज्जति ?
उ. गंगेया ! सयं पुढविकाइया पुढविकाइयत्ताए उवयजति नो असयं पुढविकाइया पुढविकाइयत्ताए उववज्जति ।
प. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ
द्रव्यानुयोग - (२)
१०६. चौबीस दंडकों में स्वयं उत्पन्न होने का प्ररूपण
प्र. दं. १. भंते ! क्या नैरयिक, नैरयिकों में स्वयं उत्पन्न होते हैं। या अस्वयं उत्पन्न होते हैं ?
उ. गांगेय ! नैरयिक, नैरयिकों में स्वयं उत्पन्न होते हैं, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं।
प्र. भंते! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
"नैरयिक स्वयं नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं अस्वयं नैरयिक नैरयिकों में उत्पन्न नहीं होते हैं।"
उ. गांगेय कर्मों के उदय से कर्मों के भारीपन से, कर्मों के अत्यन्त गुरुत्व और भारीपन से, अशुभ कर्मों के उदय से, अशुभ कर्मों के विप्राक से तथा अशुभ कर्मों के फलोदय से नैरयिक नैरयिकों में स्वयं उत्पन्न होते हैं, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं।
इस कारण से गांगेय ! ऐसा कहा जाता है कि - "नैरयिक नैरयिकों में स्वयं उत्पन्न होते हैं, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं। "
प्र. दं. २. भंते असुरकुमार, असुरकुमारों में स्वयं उत्पन्न होते हैं या अस्वयं उत्पन्न होते हैं ?
उ. गांगय ! असुरकुमार असुरकुमारों में स्वयं उत्पन्न होते हैं, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं।
प्र. भन्ते ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
"असुरकुमार स्वयं असुरकुमारों में उत्पन्न होते हैं अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं ?"
उ. गांगेय ! कर्मों के उदय से, (अशुभ) कर्मों के अभाव से, कर्मों की विशोधि से कर्मों की विशुद्धि से,
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शुभ कर्मों के उदय से,
शुभ कर्मों के विपाक से,
शुभ कर्मों के फलोदय से असुरकुमार, असुरकुमारों में स्वयं उत्पन्न होते हैं, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं।
इस कारण से गांगेय ! ऐसा कहा जाता है कि"असुरकुमार स्वयं असुरकुमारों में उत्पन्न होते हैं अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं।"
दं. ३-११. इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. दं. १२. भंते ! क्या पृथ्वीकायिक, पृथ्वीकायिकों में स्वयं उत्पन्न होते हैं या अस्वयं उत्पन्न होते है ?
उ. गांगेय ! पृथ्वीकायिक, पृथ्वीकापिकों में स्वयं उत्पन्न होते हैं, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते हैं।
प्र. भंते! किस कारण से ऐसा कहा जाता है
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