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________________ १४७५ वुक्कंति अध्ययन अव्योछित्तिणयट्ठयाए काले अण्णे चयंति, अण्णे उववज्जति, चवणोववाया आहिए त्ति वएज्जा।-सूरिय. पा. १७, सु.८८ ३१. रयणप्पभापुढवीए संखेज्जवित्थडेसु निरयावासेसु उववन्नगाणं नारगाणं एगूणचत्तालाणं पण्हाणं समाहाणंप. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवइया निरया वाससयसहस्सा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। प. ते णं भंते ! किं संखेज्जवित्थडा, असंखेज्जवित्थडा? अव्युच्छित्ति नय द्रव्यास्तिकनय से वे आयु का क्षय होने पर अन्य च्यवन करते हैं और अन्य उत्पन्न होते हैं। एक प्रकार से चन्द्र और सूर्य का च्यवन और उपपात कहा है। ३१. रत्नप्रभा पृथ्वी के संख्यात विस्तृत नरकावासों में उत्पन्न होन वाले नारकों के ३९ प्रश्नों का समाधानप्र. भन्ते ! इस रत्नप्रभापृथ्वी में कितने लाख नरकावास कहे गए हैं? उ. गौतम ! (इसमें) तीस लाख नारकावास कहे गए हैं। प्र. भन्ते ! वे नरकावास संख्यात योजन विस्तार वाले हैं या असंख्यात योजन विस्तार वाले हैं? उ. गौतम ! वे संख्यात योजन विस्तार वाले भी हैं और असंख्यात योजन विस्तार वाले भी हैं। प्र. भन्ते ! इस रलप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से संख्यात विस्तृत नरकों में एक समय में उ. गोयमा ! संखेज्जवित्थडा वि,असंखेज्जवित्थडा वि। प. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नेरइएसु एगसमएणं१. केवइया नेरइया उववज्जति? २. केवइया काउलेस्सा उववज्जति? ३. केवइया कण्हपक्खिया उववज्जति? ४. केवइया सुक्कपक्खिया उववज्जति? ५. केवइया सन्नी उववज्जंति? ६. केवइया असन्नी उववज्जति? ७. केवइया भवसिद्धिया उववज्जंति? ८. केवइया अभवसिद्धिया उववज्जंति? ९. केवइया आभिणिबोहियनाणी उववजंति? १०. केवइया सुयनाणी उववज्जंति? ११. केवइया ओहिनाणी उववज्जति? १२. केवइया मइअन्नाणी उववज्जति? १३. केवइया सुयअन्नाणी उववज्जति? १४. केवइया विभंगनाणी उववज्जति? १५. केवइया चक्खुदसणी उववज्जति? १६. केवइया अचक्खुदंसणी उववज्जति? १७. केवइया ओहिदसणी उववज्जति? १८. केवइया आहारसण्णोवउत्ता उववज्जति? १९. केवइया भयसण्णोवउत्ता उववज्जति? २०. केवइया मेहुणसण्णोवउत्ता उववज्जंति? २१. केवइया परिग्गहसण्णोवउत्ता उववज्जति? २२. केवइया इत्थिवेदगा उववति? २३. केवइया पुरिसवेदगा उववज्जंति? २४. केवइया नपुंसगवेदगा उववज्जति? २५. केवइया कोहकसाई उववति? २६-२८. जाव केवइया लोहकसाई उववज्जंति? २९. केवइया सोइंदियोवउत्ता उववज्जति? १. कितने नैरयिक जीव उत्पन्न होते हैं ? २. कितने कापोतलेश्या वाले नैरयिक जीव उत्पन्न होते हैं? ३. कितने कृष्णपाक्षिक जीव उत्पन्न होते हैं ? ४. कितने शुक्लपाक्षिक जीव उत्पन्न होते हैं ? ५. कितने संज्ञी जीव उत्पन्न होते हैं ६. कितने असंज्ञी जीव उत्पन्न होते हैं? ७. कितने भवसिद्धिक जीव उत्पन्न होते हैं ? ८. कितने अभवसिद्धिक जीव उत्पन्न होते हैं ? ९. कितने आभिनिबोधिक ज्ञानी उत्पन्न होते हैं? १०. कितने श्रुतज्ञानी उत्पन्न होते हैं? ११. कितने अवधिज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? १२. कितने मति अज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? १३. कितने श्रुत अज्ञानी उत्पन्न होते हैं? १४. कितने विभंगज्ञानी उत्पन्न होते हैं? १५. कितने चक्षुदर्शनी उत्पन्न होते हैं ? १६. कितने अचक्षुदर्शनी उत्पन्न होते हैं ? १७. कितने अवधिदर्शनी उत्पन्न होते हैं ? १८. कितने आहार-संज्ञोपयोगयुक्त जीव उत्पन्न होते हैं ? १९. कितने भय-संज्ञोपयोगयुक्त जीव उत्पन्न होते हैं ? २०. कितने मैथुन-संज्ञोपयोगयुक्त जीव उत्पन्न होते हैं ? २१. कितने परिग्रह-संज्ञोपयोगयुक्त जीव उत्पन्न होते हैं ? २२. कितने स्त्रीवेदक जीव उत्पन्न होते हैं? २३. कितने पुरुषवेदक जीव उत्पन्न होते हैं ? २४. कितने नपुंसकवेदक जीव उत्पन्न होते हैं ? २५. कितने क्रोधकषायी जीव उत्पन्न होते हैं? २६-२८. यावत् कितने लोभकषायी जीव उत्पन्न होते हैं ? २९. कितने श्रोत्रेन्द्रिय उपयोगयुक्त उत्पन्न होते हैं ?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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