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________________ १४५० द्रव्यानुयोग-(२) णवरं-पज्जत्तए-अपज्जत्तएहिंतो वि उववजंति, विशेष-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं। सेसं तं चेव। शेष सब कथन पूर्ववत् है। प. जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति, प्र. यदि (वे) मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किं सम्मुच्छिम-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति? तो क्या सम्मूर्छिम मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? गब्भवक्कंतिय मणुस्सेहिंतो उववज्जति? ___ या गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गोयमा ! दोहितो वि उववज्जति। उ. गौतम ! (सम्मूर्छिम और गर्भज) दोनों में से आकर उत्पन्न होते हैं। प. जइ गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति, प्र. यदि गर्भज मनुष्यों में से उत्पन्न होते हैं, किं कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसेहिंतो उववजंति? तो क्या कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? अकम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसेहिंतो उववजंति ? या अकर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गोयमा ! सेसं जहा नेरइयाणं। उ. (गौतम) शेष सब कथन नैरयिकों के समान है। णवर-अपज्जत्तएहितो वि उववज्जंति। विशेष-(ये) अपर्याप्तक (कर्मभूमिज गर्भज) मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं। प. जइ देवेहिंतो उववज्जति? प्र. यदि देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किं भवणवासि-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएहितो तो क्या भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क या वैमानिक देवों उववज्जति? में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि उववजंति जाव उ. गौतम ! भवनवासी देवों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं यावत् वेमाणियदेवेहिंतो वि उववज्जति। वैमानिक देवों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प. जइ भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जंति, प्र. यदि (ये) भवनवासी देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किं असुरकुमारदेवेहितो उववज्जंति जाव थणियकुमार तो क्या असुरकुमार देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं देवेहिंतो उववज्जति? यावत् स्तनितकुमार देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गोयमा ! असुरकुमारदेवेहिंतो वि उववज्जति जाव उ. गौतम !(ये) असुरकुमार देवों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं थणियकुमारदेवेहितो वि उववज्जति।' यावत् स्तनितकुमार देवों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प. जइ वाणमंतरेहिंतो उववज्जंति, प्र. यदि (वे) वाणव्यन्तर देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किं. पिसाएहिंतो उववज्जति जाव गंधव्वेहितो तो क्या पिशाचों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत् गन्धर्वो में उववज्जति? से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गोयमा ! पिसाएहितो वि उववजंति जाव गंधव्वेहितो वि उ. गौतम !(वे) पिशाचों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं यावत् उववज्जति। गन्धों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प. जइ जोइसियदेवेहिंतो उववज्जति, प्र. यदि (वे) ज्योतिष्क देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किं चंदविमाणेहिंतो उववजंति जाव ताराविमाणेहितो तो क्या चन्द्रविमान के ज्योतिष्क देवों में से आकर उत्पन्न होते उववज्जति? हैं यावत् ताराविमान के ज्योतिष्क देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गोयमा ! चंदविमाणजोइसियदेवेहिंतो उववज्जति जाव उ. गौतम ! चन्द्रविमान के ज्योतिष्क देवों में से आकर भी उत्पन्न ताराविमाणजोइसियदेवेहितो वि उववज्जंति।३ होते हैं यावत् ताराविमान के ज्योतिष्कदेवों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प. जइवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जंति, प्र. यदि वैमानिक देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किं कप्पोवगवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति? तो क्या कल्पोपपन्नक वैमानिक देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? कप्पातीय वेमाणिय देवेहिंतो उववज्जति? या कल्पातीत वैमानिक देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. कप्पोवग-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जंति, उ. गौतम ! (वे) कल्पोपपन्नक वैमानिक देवों में से आकर होते हैं, नो कप्पातीय-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति। (किन्तु) कल्पातीत वैमानिक देवों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। १. विया. स. २४, उ.१२,सु.४०-४१ २. विया. स. २४, उ.१२,सु.४८ ३. विया. स. २४, उ. १२, सु.५०
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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