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________________ १४४२ उ. गोयमा ! सम्मूच्छिम जलवर पंचेदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो वि उवयति। गब्भवतिय- जलयर-पंचेदिय-तिरिक्खजोणिएहितो वि उययज्जति। प. जइ सम्मुच्छिम जलवर पंचेदिव- तिरिक्सजोणिएहिंतो उववज्जति किं पज्जत्तय सम्मुच्छिम - जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? अपज्जत्तय सम्मूच्छिम जलयर पंचें दिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? उ. गोयमा पजत्तय सम्मुच्छिम जलयर-पंचेदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उबबज्जति नो अपज्जत्तय सम्मुच्छिम- जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति । गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणि प. जइ एहिंतो उववज्जंति, किं पज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदिय- तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? अपज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिहिंतो उववज्जंति ? उ. गोयमा ! पज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, नो तिरक्खि जोणिएहिंतो उववज्जंति । प. जइ थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, अपज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदिय कि उववज्जंति ? चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो परिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? उ. गोयमा ! चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववज्जति, परिसप्प थलयर-पंचेदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति । प. जइ चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, किं सम्मुच्छिम चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय- तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्र्ज्जति ? गब्भवक्कं तिय- चउप्पय-थलयर-पंचें दिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? वि उ. गोयमा ! सम्मुच्छिम - चउपय-थलयर-पंचेदिय तिरिक्सजोणिएतो वि उजति, गब्भववकंतिय चउप्पएहिंतो वि उवयञ्जति । प. जइ सम्मुच्छिम चउप्पएहिंतो उचबजति, द्रव्यानुयोग - (२) उ. गौतम ! (ये) सम्मूर्च्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं, गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि सम्मूर्च्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या पर्याप्तक सम्मूर्च्छिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं। या अपर्याप्त सम्मूर्च्छिम जलबर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! पर्याप्तक सम्मूर्च्छिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तक सम्मूर्च्छिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या पर्याप्तक- गर्भज जलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? या अपर्याप्तक गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! (वे ) पर्याप्तक- गर्भज- जलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च - योनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु ) अपर्याप्तक गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? या परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! (वे) चतुष्पद-स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं, परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूर्च्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? या गर्भज - स्थलचर- पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! (वे) सम्मूर्च्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं, गर्भज-चतुष्पद-स्थलचरों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि सम्मूर्च्छिम-चतुष्पद-स्थलचर (पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च योनिकों) में से आकर उत्पन्न होते हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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