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द्रव्यानुयोग-(२) ३. मज्झिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा,
३. (उनसे) मध्यम ग्रैवेयक भावदेव संख्यातगुणे हैं, ४. हेट्ठिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा,
४. (उनसे) नीचे ग्रैवेयक भावदेव संख्यातगुणे हैं, ५. अच्चुए कप्पे देवा संखेज्जगुणा जाव
५. (उनसे) अच्युतकल्प के भावदेव संख्यातगुणे हैं यावत् आणयकप्पे देवा संखेज्जगुणा,
(उनसे) आनतकल्प के भावदेव संख्यातगुणे हैं, १. सहस्सारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
१. (उनसे) सहस्रार कल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, २. महासुक्के कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
२. (उनसे) महाशुक्र कल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ३. लंतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
३. (उनसे) लांतक कल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ४. बंभलोए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
४. (उनसे) ब्रह्मलोक कल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ५. माहिद कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
५. (उनसे) माहेन्द्रकल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ६. सणंकुमारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
६. (उनसे) सनत्कुमार कल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ७. ईसाणे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
७. (उनसे) ईशानकल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ८. सोहम्मे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा,
८. (उनसे) सौधर्म कल्प के भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ९. भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा,
९. (उनसे) भवनवासी भावदेव असंख्यातगुणे हैं, १०. वाणमंतरा देवा असंखेज्जगुणा,
१०. (उनसे) वाणव्यन्तर भावदेव असंख्यातगुणे हैं, ११. जोइसिया भावदेवा संखेज्जगुणा।
११. (उनसे) ज्योतिष्क भावदेव संख्यातगुणे हैं। -विया. स. १२, उ.९, सु.३२-३३ ५. देवाणं चउव्विह वग्ग परूवणं
५. देवों के चतुर्विध वर्ग का प्ररूपणचउव्विहा देवाणं (वग्गा) पण्णत्ता,तं जहा
देवताओं की स्थिति (पदमर्यादा) चार प्रकार की कही गई है, यथा१. देवे नामगे,
१. देव सामान्य, २. देव सिणाए नामेगे,
२. देव-स्नातक-अमात्य, ३. देव पुरोहिए नामेगे,
३. देव-पुरोहित-शान्तिकर्म करने वाला, ४. देवपज्जलणे नामंगे। -ठाणं. अ.४, उ. १, सु.२४८(१) ४. देव-प्रज्वलन-मंगल पाठक। ६. सइन्द देवट्ठाणाणं इन्द संखा
६. सइन्द्र-देवस्थानों के इन्द्रों की संख्याबत्तीसं देविंदा पण्णत्ता,तं जहा
बत्तीस देवेन्द्र कहे गए हैं, यथा१. चमरे, २. बलि, ३. धरणे,
१. चमर, २. बली, ३. धरण, ४. भूयाणंदे, ५. वेणुदेवे, ६. वेणुदालि,
४. भूतानन्द, ५. वेणुदेव, ६. वेणुदाली, ७. हरि. ८. हरिस्सहे, ९. अग्गिसिहे,
७. हरिकान्त, ८. हरिस्सह, ९. अग्निशिख, १०. अग्गिमाणवे, ११. पुन्ने, १२. विसिट्टे,
१०. अग्निमाणव, ११. पूर्ण, १२. वशिष्ठ १३. जलकंते, १४. जलप्पभे, १५. अमियगई, १३. जलकान्त १४. जलप्रभ, १५. अमितगति, १६. अमितवाहणे, १७. वेलंबे, १८. पभंजणे,
१६. अमितवाहन, १७. वेलम्ब, १८. प्रभंजन, १९. घोसे, २०. महाघोरो, २१. चंदे,
१९. घोष, २०. महाघोष, २१. चन्द्र, २२. सूरे, २३. सक्के, २४. ईसाणे,
२२. सूर्य, २३. शक्र, २४. ईशान, २५. सणंकुमारे, २६. माहिंदे, ७. बंभे,
२५. सनत्कुमार, २६. माहेन्द्र, २७. ब्रह्म, २८. लंतए, २९. महासुक्के, ३०. सहस्सारे,
२८. लान्तक, २९. महाशुक्र, ३०. सहस्रार, ३१. पाणए, ३२. अच्चुए। -सम. सम.३२, सु. २ ३१. प्राणत, ३२. अच्युत। ७. सइन्द अनिन्द देवट्ठाणाणं संखा
७. सइन्द्र-अनिन्द्र देवस्थानों की संख्याचउवीसं देवट्ठाणा सइंदया पण्णत्ता,
चौबीस देव स्थान इन्द्र सहित कहे गए हैं, सेसा अहमिंदा-अनिंदा अपुरोहिआ। -सम.सम.२४,सु.४ शेष देव स्थान “अहमिन्द्र" अर्थात् इन्द्र रहित और पुरोहित रहित
कहे गए हैं। १. भवनपति के दस, व्यंतरों के आठ, ज्योतिष्कों के पांच और कल्पोपपन्नकों का एक कुल (१0 + ८ + ५ + १ =२४) इन्द्रों वाले स्थान हैं। शेष ९
|येयक और ५ अनुत्तरोविमान इन्द्र रहित हैं।