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________________ मनुष्य गति अध्ययन संझाइ वा, गंधव्वणगराइ वा,गज्जियाइ वा, विज्जुयाइ वा, उक्कापाताइ वा, दिसादाहाइ वा, निग्घायाइ वा, पंसुवुट्ठीइ वा, जुवगाइ वा, जक्खलित्ताइ वा, धूमियाइ वा, महियाइ वा, रउग्घायाइ वा, चंदोवरागाइ वा, सूरोवरागाइ वा, चंदपरिवेसाइ वा, सूरपरिवेसाइ वा, पडिचंदाइ वा, पडिसूराइ वा, इंदधणूइ वा, उदगमच्छाइ वा, अमोहाइ वा, कविहसियाइ वा, पाईणवायाइ वा, पडीणवायाइ वा जाव सुद्धवायाइ वा, गामदाहाइ वा, नगरदाहाइ वा जाव सण्णिवेसदाहाइ वा, पाणक्खय-जणक्खय-कुलक्खय-धणक्खय-वसणभूयमणारियाइवा? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. अत्थि णं भन्ते ! एगोरुय दीवे दीवे डिंबाइ वा, डमराइ वा, कलहाइ वा, बोलाइ वा, खाराइ वा, वेराइ वा, विरुद्धरज्जाइ वा? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। ववगय-डिंब-डमर कलह-बोल-खार-वेर-विरुद्धरज्जा णं ते मणुयगणा पण्णत्ता, समणाउसो! प. अस्थि णं भन्ते ! एगोरुयदीवे दीवे महाजुद्धाइ वा, महासंगामाइ वा, महासत्थनिवयणाइ वा, महापुरिसबाणा इवा, महारुधिरबाणा इवा, नागबाणा इवा,खेणबाणा इवा, तामसबाणाइवा? उ. गोयमा ! णो इणढे समठे। ववगय-वेराणुबंधा णं ते मणुया पण्णत्ता, समणाउसो! १३७९ सन्ध्या (लाल-नीले बादलों का परिणमन), गन्धर्व नगर, (बादलों का नगरादि रूप में परिणमन) गर्जना, बिजली चमकना, उल्कापात (बिजली गिरना), दिग्दाह (किसी एक दिशा का एकदम अग्निज्वाला जैसा भयानक दिखना) निर्घात बिजली का कड़कना, धूलि बरसना, यूपक (सन्ध्या, प्रभा और चन्द्रप्रभा का मिश्रण होने पर सन्ध्या का पता न चलना) यक्षदीप्त (आकाश में अग्निसहित पिशाच का रूप दिखना) धूमिका (धूमर) महिका (जलकणयुक्त धूवर) रज-उद्घात (दिशाओं में धूल भर जाना) चन्द्रग्रहणसूर्यग्रहण, चन्द्र के आसपास मण्डल का होना, सूर्य के आसपास मण्डल का होना, दो चन्द्रों का दिखना, दो सूर्यों का दिखना, इन्द्रधनुष उदकमत्स्य (इन्द्रधनुष का टुकड़ा) अमोघ सूर्यास्त के बाद सूर्यबिम्ब से निकलने वाली श्यामादि वर्ण वाली रेखा, कपिहसित (आकाश में होने वाला भयंकर शब्द) पूर्ववात्, पश्चिमवात् यावत् शुद्धवात्, ग्रामदाह, नगरदाह यावत् सन्निवेशदाह (इनसे होने वाले) प्राणियों का क्षय, जनक्षय, कुलक्षय, धनक्षय आदि दुख और अनार्य-उत्पात आदि वहाँ होते हैं ? उ. गौतम ! ये सब उपद्रव वहां नहीं होते हैं। प्र. भन्ते ! क्या एकोरुक द्वीप में डिंब (शत्रु भय), डमर (अन्य देश द्वारा किया गया उपद्रव), कलह (वाग्युद्ध), आर्तनाद, मात्सर्य, वैर, विरोधी राज्य आदि हैं? उ. गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ के मनुष्य डिंब-डमर-कलह-बोल-क्षार-वैर और विरुद्ध राज्य के उपद्रवों से रहित कहे गए हैं। प्र. भन्ते ! क्या एकोरुक द्वीप में महायुद्ध, महासंग्राम, महाशस्त्रों का निपात, महापुरुषों (चक्रवर्ती-बलदेववासुदेव) के बाण, महारुधिरबाण, नागबाण, आकाशबाण, तामस (अंधकार कर देने वाला) बाण आदि हैं ? उ. गौतम ! ये सब वहाँ नहीं है। हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ के मनुष्य वैरानुबन्ध से रहित कहे गए हैं अतः वहाँ महायुद्धादि नहीं होते हैं। प्र. भन्ते ! क्या एकोरुक द्वीप में दुर्भूतिक (दुर्भाग) कुलक्रमागतरोग, ग्रामरोग, नगररोग, मंडल (जिला) रोग, शिरोवेदना, आंखवेदना, कानवेदना, नाकवेदना, दांतवेदना, नखवेदना, खांसी, श्वास, ज्वर, दाह, खुजली, दाद, कोढ, कुड (डमरुवाल), जलोदर, अर्श (बवासीर) अजीर्ण, भगंदर, इन्द्र ग्रह (इन्द्र के आवेश से होने वाला रोग) स्कन्दग्रह (कार्तिकय के आवेश से होने वाला रोग) कुमारग्रह, नागग्रह, यक्षग्रह, भूतग्रह, उद्वेग ग्रह, धनुग्रह (धनुर्वात) एकान्तर ज्वर, दो दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, तीन दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, चार दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, हृदयशूल, मस्तकशूल, पार्श्वशूल, (पसलियों का दर्द) कुक्षिशूल, योनिशूल, ग्राममारी यावत् सन्निवेशमारी और इनसे होने वाला प्राणों का क्षय यावत् दुःखरूप उपद्रवादि हैं ? प. अस्थि णं भन्ते ! एगोरुय दीवे दीवे दुब्भूइयाइ वा, कुलरोगाइ वा, गामरोगाइ वा, णगररोगाइ वा, मंडलरोगाइ वा, सिरोवेयणाइ वा, अच्छिवेयणाइ वा, कण्णवेयणाइ वा, णक्कवेयणाइ वा, दंतवेयणाइ वा, नखवेयणाइ वा, कासाइ वा, सासाइ वा, जराइ वा, दाहाइवा, कच्छूइवा,खसराइ ग,कट्ठाइ वा.कडाइ वा, दगोयराइ वा, अरिसाइ वा, अजीरगाइ वा, भगंदराइ वा, इंदग्गहाइ वा, खंदग्गहाइ वा, कुमारग्गहाइ वा, णागग्गहाइ वा, जक्खग्गहाइ वा, भूयग्गहाइ वा, उव्वेयग्गहाइ वा, धणुग्गहाइ वो, एगाहियगाहाइ वा, वेयाहियगहियाइ वा, तेयाहियगहियाइ वा, चाउत्थगहियाइ वा, हिययसूलाइ वा, मत्थगसूलाइ वा, पाससूलाइ वा, कुच्छिसूलाइ वा, जोणिसूलाइ वा, गाममारीइ वा जाव सन्निवेसमारीइ वा, पाणक्खय जाव वसणभूयमणारिया इ वा?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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