SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 594
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मनुष्य गति अध्ययन (२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. दुग्गए णाममेगे दुव्वए, २. दुग्गए णाममेगे सुब्बए, ३. सुग्गए णाममेगे दुव्वए, ४. सुग्गए णाममेगे सुव्वए । (३) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता त जहा " १. दुग्गए णाममेगे दुप्पडियाणंदे, २. दुग्गए णाममेगे सुप्पडियाणंदे, ३. सुग्गए णाममेगे दुप्पडियाणंदे, ४. सुग्गए णाममेगे सुप्पडियाणंदे । (४) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. दुग्गए णाममेगे दुग्गइगामी, २. दुग्गए णाममेगे सुग्गड़गामी, ३. सुग्गए णाममेगे दुग्गइगामी, ४. सुग्गए णाममेगे सुग्गइगामी । (५) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. दुग्गए णाममेगे दुग्गइं गए, २. दुग्गए णाममेगे सुग्गइं गए, ३. सुग्गए णाममेगे दुग्गइं गए, ४. सुग्गए णाममेगे सुग्गइं गए। - ठाणं. अ. ४, उ. ३, सु. ३२७ ४३. मुत्तामुत्त दिट्ठतेण पुरिसाणं चउभंग परूवणं (१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. मुत्ते णाममेगे मुत्ते, २. मुत्ते णाममेगे अमुत्ते, ३. अमुत्ते णाममेगे मुत्ते ४. अमुत्ते णाममेगे अमुत्ते । (२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. मुत्ते णाममेगे मुत्तरूवे, २. मुत्ते णाममेगे अमुत्तरूवे, ३. अमुत्ते णाममेगे मुत्तरूवे, ४. अर्मुत्ते णाममेगे अमुत्तरूवे । - ठाणं. अ. ४, उ. ४, सु. ३६६ ४४. किस दढ विवक्खया पुरिसाणं चउभंग परूवणं(१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. किसे णाममेगे किसे, २. किसे णाममेगे दढे, (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष दुर्गत (धन हीन) होते हैं और व्रत (सदाचार) से भी हीन होते हैं, १३३३ २.. कुछ पुरुष धनहीन होते हैं किन्तु सदाचारी होते हैं, ३. कुछ पुरुष धनवान् होते हैं किन्तु सदाचारी नहीं होते हैं. ४. कुछ पुरुष धनवान् भी होते हैं और सदाचारी भी होते हैं। (३) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष दुर्गत ( दरिद्री) होते हैं और कृतघ्न भी होते हैं, २. कुछ पुरुष दुर्गत ( दरिद्री) होते हैं किन्तु कृतज्ञ होते हैं, ३. कुछ पुरुष सुगत (धनवान होते हैं और कृतघ्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष सुगत (धनवान्) भी होते हैं और कृतज्ञ भी होते हैं। (४) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष दुर्गत ( दरिद्री) होते हैं और दुर्गतिगामी भी होते हैं, २. कुछ पुरुष दुर्गत (दरिद्री) होते हैं किन्तु सुगतिगामी होते हैं, ३. कुछ पुरुष सुगत (धनवान्) होते हैं किन्तु दुर्गतिगामी होते हैं, ४. कुछ पुरुष सुगत (धनवान्) भी होते हैं और सुगतिगामी भी होते है। (५) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष दुर्गत होकर दुर्गति में गये हुए हैं, २. कुछ पुरुष दुर्गत होकर सुगति में गये हुए हैं, ३. कुछ पुरुष सुगत होकर दुर्गति में गए हुए हैं, ४. कुछ पुरुष सुगत होकर सुगति में गए हुए हैं। ४३. मुक्त- अमुक्त के दृष्टान्त द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष द्रव्य से भी मुक्त होते हैं और भाव से भी मुक्त होते हैं, २. कुछ पुरुष द्रव्य से मुक्त होते हैं, परन्तु भाव से अमुक्त होते हैं, ३. कुछ पुरुष द्रव्य से अमुक्त होते हैं, परन्तु भाव से मुक्त होते हैं, ४. कुछ पुरुष द्रव्य से भी अमुक्त होते हैं और भाव से भी अमुक्त होते हैं। (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष मुक्त होते हैं और उनका व्यवहार भी मुक्तवत् होता है, २. कुछ पुरुष मुक्त होते हैं, परन्तु उनका व्यवहार अमुक्तवत् होता है, ३. कुछ पुरुष अमुक्त होते हैं, परन्तु उनका व्यवहार मुक्तवत् होता है, ४. कुछ पुरुष अमुक्त होते हैं और उनका व्यवहार भी अमुक्तवत् होता है। ४४. कृश और दृढ़ की विवक्षा से पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष शरीर से भी कृश होते हैं और मनोबल से भी कृश होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर से कृश होते हैं, किन्तु मनोबल से दृढ़ होते हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy