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________________ मनुष्य गति अध्ययन ३. असच्चे णाममेगे सच्चसीलाचारे ४. असच्चे णाममेगे असच्चसीलाचारे । (९) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. सच्चे णाममेगे सच्चववहारे, २. सच्चे णाममेगे असच्चयवहारे. ३. असच्चे णाममेगे सच्चववहारे, ४. असच्चे णाममेगे असच्चयवहारे। (१०) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. सच्चे णाममेगे सच्चपरक्कमे २. सच्चे णाममेगे असच्चपरक्कमे ३. असच्चे णाममेगे सच्चपरक्कमे ५. असच्चे णाममेगे असच्चपरक्कमे - ठाणं. अ. ४, उ. ३, सु. २४१ २९. अज-अणज्ज विवक्खया पुरिसाणं चउभंग पत्रवर्ण (१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अज्जे णाममेगे अज्जे, २. अंजे नाममेगे अणजे, ३. अणज्जे णाममेगे अज्जे, ४. अणज्जे णाममेगे अणज्जे । (२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अज्जे णाममेगे अज्जपरिणए, २. अज्जे णाममेगे अणज्जपरिणए, ३. अणजे नाममेगे अजपरिणए, ४. अणजे नाममेगे अणपरिणए । (३) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अज्जे णाममेगे अरूये, २. अज्जे णाममेगे अणज्जरूवे, ३. अणज्जे णाममेगे अज्जरूवे, ४. अणजे नाममेगे अणरूये। (४) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अज्जे णाममेगे अजमणे, २. अज्जे णाममेगे अणज्जमणे, ३. अणज्जे णाममेगे अज्जमणे, ४. अणजे नाममेगे अणज्जमणे । (५) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अज्जे नाममेगे अञ्जसंकप्पे, २. अज्जे नाममेगे अणन्जसंकप्पे, ३. अज्जे णाममेगे अज्जसंकप्पे, ४. अणजे णाममेगे अणज्जसंकये। (६) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. अज्जे णाममेगे अज्जपणे, १३२१ ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य - शीलाचार वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य - शीलाचार वाले होते हैं। (९) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य व्यवहार वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य व्यवहार वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य व्यवहार वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य व्यवहार वाले होते हैं। (१०) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं; यथा 9. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य-पराक्रम वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य पराक्रम वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य पराक्रम वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य पराक्रम वाले होते हैं। २९. आर्य-अनार्य की विवक्षा से पुरुषों के चतुर्मंगों का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा 9. कुछ पुरुष द्रव्य से भी आर्य होते हैं और भाव से भी आर्य होते हैं, २. कुछ पुरुष द्रव्य से आर्य होते हैं किन्तु भाव से अनार्य होते हैं, ३. कुछ पुरुष द्रव्य से अनार्य होते हैं किन्तु भाव से आर्य होते हैं, ४. कुछ पुरुष द्रव्य से भी अनार्य होते हैं और भाव से भी अनार्य होते हैं। (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १.. कुछ पुरुष आर्य होते हैं और आर्य रूप में परिणत होते हैं, २. कुछ पुरुष आर्य होते हैं किन्तु अनार्य रूप में परिणत होते हैं, ३. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं किन्तु आर्य रूप में परिणत होते हैं, ४. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं और अनार्य रूप में परिणत होते हैं। (३) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष आर्य होते हैं और आर्य रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष आर्य होते हैं किन्तु अनार्य रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं किन्तु आर्य रूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं और अनार्य रूप वाले होते हैं। (४) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष आर्य होते हैं और आर्य मन वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष आर्य होते हैं किन्तु अनार्य मन वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं किन्तु आर्य मन वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं और अनार्य मन वाले होते हैं। (५) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा 9. कुछ पुरुष आर्य होते हैं और आर्य संकल्प वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष आर्य होते हैं किन्तु अनार्य संकल्प वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं किन्तु आर्य संकल्प वाले होते हैं. ४. कुछ पुरुष अनार्य होते हैं और अनार्य संकल्प वाले होते हैं। (६) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष आर्य होते हैं और आर्य प्रज्ञा वाले होते हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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