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________________ १३२० २८. सच्च-असच्च परिणयाइ विवक्खया पुरिसाणं चउभंग परूवर्ण(१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चे, २. सच्चे णाममेगे असच्चे, ३. असच्चे णाममेगे सच्चे, ४. असच्चे णाममेगे असच्चे। (२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चपरिणए, २. सच्चे णाममेगे असच्चपरिणए, ३. असच्चे णाममेगे सच्चपरिणए, ४. असच्चे णाममेगे असच्चपरिणए। (३) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चरूवे, २. सच्चे णाममेगे असच्चरूवे, ३. असच्चे णाममेगे सच्चरूवे, ४. असच्चे णाममेगे असच्चरूवे, (४) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चमणे, २. सच्चे णाममेगे असच्चमणे, ३. असच्चे णाममेगे सच्चमणे, ४. असच्चे णाममेगे असच्चमणे। (५) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चसंकप्पे, २. सच्चे णाममेगे असच्चसंकप्पे, ३. असच्चे णाममेगे सच्चसंकप्पे, ४. असच्चे णाममेगे असच्चसंकप्पे। (६) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चपण्णे, २. सच्चे णाममेगे असच्चपण्णे, ३. असच्चे णाममेगे सच्चपण्णे, ४. असच्चे णाममेगे असच्चपण्णे। (७) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सच्चे णाममेगे सच्चदिट्ठी, २. सच्चे णाममेगे असच्चदिट्ठी, ३. असच्चे णाममेगे सच्चदिट्ठी, ४. असच्चे णाममेगे असच्चदिट्ठी। (८) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जड़ा१. सच्चे णाममेगे सच्चसीलाचारे, २. सच्चे णाममेगे असच्चसीलाचारे, द्रव्यानुयोग-(२) २८. सत्य-असत्य परिणतादि की विवक्षा से पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष पहले भी सत्य बोलते हैं और बाद में भी सत्य बोलते हैं, २. कुछ पुरुष पहले सत्य बोलते हैं किन्तु बाद में असत्य बोलते हैं, ३. कुछ पुरुष पहले असत्य बोलते हैं किन्तु बाद में सत्य बोलते हैं, ४. कुछ पुरुष पहले भी असत्य बोलते हैं और बाद में भी असत्य बोलते हैं। (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य परिणति वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य-परिणति वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य परिणति वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य-परिणति वाले होते हैं। (३) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य रूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य रूप वाले होते हैं। (४) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा- . १. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य मन वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य मन वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य मन वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य मन वाले होते हैं। (५) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य संकल्प वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य संकल्प वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य संकल्प वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य संकल्प वाले होते हैं। (६) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य-प्रज्ञा वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य-प्रज्ञा वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य-प्रज्ञा वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य-प्रज्ञा वाले होते हैं। (७) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य-दृष्टि वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य-दृष्टि वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असत्य होते हैं किन्तु सत्य दृष्टि वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य होते हैं और असत्य दृष्टि वाले होते हैं। (८) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष सत्य होते हैं और सत्य-शीलाचार वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य होते हैं किन्तु असत्य-शीलाचार वाले होते हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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