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________________ गति अध्ययन १२५१ उ. गौतम ! १. सबसे अल्प प्रथमसमयतिर्यञ्चयोनिक है, २. (उनसे) अप्रथमसमयतिर्यञ्चयोनिक अनन्तगुणे हैं। प्र. भन्ते ! इन प्रथमसमयमनुष्यों और अप्रथमसमयमनुष्यों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गोयमा !१.सव्वत्थोवा पढमसमयतिरिक्खजोणिया, २. अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। प. एएसि णं भंते ! पढमसमयमणूसाणं अपढमसमय मणूसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा, २. अपढमसमयमणूसा असंखेज्जगुणा, जहा मणूसा तहा देवावि। उ. गौतम ! १. सबसे अल्प प्रथमसमयमनुष्य हैं, २. (उनसे) अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुणे हैं। जैसा मनुष्यों के लिए कहा है, वैसा देवों के लिए भी कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! इन प्रथमसमयसिद्धों और अप्रथमसमयसिद्धों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प प्रथमसमयसिद्ध हैं, २.(उनसे) अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुणे हैं। प्र. भन्ते ! इन १.प्रथमसमयनैरयिक, २. अप्रथमसमयनैरयिक, ३. प्रथमसमयतिर्यञ्चयोनिक, ४. अप्रथमसमयतिर्यञ्चयोनिकी, ५. प्रथमसमयमनुष्य, ६. अप्रथमसमयमनुष्य, ७.प्रथम-समयदेव,८.अप्रथमसमयदेव,९.प्रथमसमयसिद्ध और १०.अप्रथमसमयसिद्ध इनमें कौन किससे अल्प यावत विशेषाधिक हैं? प. एएसि णं भंते ! पढमसमयसिद्धाणं अपढमसमयसिद्धाण यकयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा, २. अपढमसमयसिद्धा अणंतगुणा। प. एएसिणं भंते ! पढमसमयनेरइयाणं, अपढमसमयनेरइयाणं, पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं, अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं, पढमसमयमणूसाणं, अपढमसमयमणूसाणं, पढमसमयदेवाणं, अपढमसमयदेवाणं, पढमसमयसिद्धाणं, अपढमसमयसिद्धाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा। २. पढमसमयमणूसा असंखेज्जगुणा, ३. अपढमसमयमणूसा असंखेज्जगुणा, ४. पढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, ५. पढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, ६. पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, ७. अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, ८. अपढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, ९. अपढमसमयसिद्धा अणंतगुणा, १०.अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। -जीवा. पडि.९, सु.२५९ उ. गौतम ! १. सबसे अल्प प्रथमसमयसिद्ध है, २. (उनसे) प्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) प्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) प्रथमसमयदेव असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) प्रथमसमयतिर्यञ्चयोनिक असंख्यातगुणे हैं, ७. (उनसे) अप्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) अप्रथमसमयदेव असंख्यातगुणे हैं, ९. (उनसे) अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुणे हैं, १०. (उनसे) अप्रथमसमयतिर्यञ्चयोनिक अनन्तगुणे हैं। १. (क) जीवा. पडि.७,सु.२२७ (ख) जीवा. पडि.९, सु.२५७ विशेष अन्तर निम्न है एएसि णं भन्ते ! पढमसमयनेरइयाणं, पढमसमयतिरिक्वजोणियाणं, पढमसमयमणूसाणं, पढमसमयदेवाणं, अपढमसमयनेरइयाण, अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं, अपढमसमयमणूसाणं, अपढमसमयदेवाणं सिद्धाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ, गोयमा !१. सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा, २. अपढमसमयमणूसा असंखेज्जगुणा, ३. पढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, ४. पढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, ५. पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, ६. अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, ७. अपढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, ८. सिद्धा अणंतगुणा, ९. अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। -जीवा. पडि.७, सु.२५७
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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