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________________ विषय पृष्ठांक | सूत्र विषय पृष्ठांक १०. उपयोग द्वार, २४. चौबीसदंडकों में लोमाहार और प्रक्षेपाहार का प्ररूपण, ३७६ २५. चौबीसदंडकों में ओज आहार और मनोभक्षण का प्ररूपण, ३७६-३७७ २६. आहारक-अनाहारक प्ररूपण के तेरह द्वार, ३७७ १. आहार द्वार, ३७७ २. भवसिद्धिक द्वार, ३७७-३७८ ३. संज्ञी द्वार, ३७८-३७९ ४. लेश्या द्वार, ३७९ ५. दृष्टि द्वार, ३७९-३८० ६. संयत द्वार, ३८० ७. कषाय द्वार, ३८०-३८१ ८. ज्ञान-द्वार, ३८१ ९. योग द्वार, ३८१ ३८१ ११. वेद द्वार, ३८१-३८२ १२. शरीर द्वार, ३८२ १३. पर्याप्ति द्वार, ३८२-३८३ २७. वनस्पतिकायिकों की उत्पत्ति वृद्धि आहार का प्ररूपण, ३८३-३८७ २८. मनुष्यों की उत्पत्ति वृद्धि आहार का प्ररूपण, ३८७-३८८ २९. पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक की उत्पत्ति वृद्धि आहार का प्ररूपण, ३८८-३८९ ३०-३१. विकलेन्द्रियों के उत्पत्ति वृद्धि आहार का प्ररूपण, ३८९-३९० ३२. अप्-तेजस्-वायु और पृथ्वीकायिकों की उत्पत्ति वृद्धि आहार का प्ररूपण, ३९०-३९१ ३३. सामान्यतः सर्वजीवों के आहार और उनकी यतना का प्ररूपण, ३९१-३९२ ३४. वैमानिक देवों के आहार के रूप में परिणत पुद्गलों का प्ररूपण, ३९२ ३५. भोजन परिणाम के छह प्रकार, ३९२ ३६. आहारक-अनाहारकों की कायस्थिति का प्ररूपण, ३९२-३९३ ३७. आहारकों-अनाहारकों के अन्तरकाल का प्ररूपण, ३९३ ३८. आहारकों-अनाहारकों का अल्पबहुत्व, १४. शरीर अध्ययन १. शरीर के भेदों का प्ररूपण, २. सामान्यतः शरीरों की उत्पत्ति के हेतु, ३९६ ३. शरीरों के अगुरुलघुत्वादि का प्ररूपण, ३९६ ४. शरीरों का पुद्गल चयन, ३९६ ५. शरीरों का परस्पर संयोगासंयोग, ३९६-३९७ ६. चार शरीरों का जीवस्पृष्ट और कार्मणयुक्त होने का प्ररूपण, ३९७-३९८ १. पाँच शरीर ७. स्वामित्व की विवक्षा से औदारिक शरीर के विविध भेद, ३९८-४०० ८. स्वामित्व की विवक्षा से वैक्रिय शरीर के विविध भेद, ४०१-४०५ ९. स्वामित्व की विवक्षा से आहारक शरीर के विविध भेद, . ४०५-४०७ १०. स्वामित्व की विवक्षा से तेजस् शरीर के विविध भेद, ४०७ ११. स्वामित्व की विवक्षा से कार्मण शरीर के विविध भेद, ४०८ १२. शरीर निवृत्ति के भेद और चौबीसदंडकों में प्ररूपण, ४०८ १३. चौबीसदंडकों में शरीरोत्पत्ति और निवृत्ति के कारण, ४०८ १४. शरीरों के बंध भेद और चौबीसदंडकों में प्ररूपण, ४०८-४०९ १५. जीव-चौबीसदंडकों में शरीरादि के लिए स्थित अस्थित द्रव्यों के ग्रहण का प्ररूपण, ४०९-४१० १६. चौबीसदंडकों में शरीर की प्ररूपणा, ४१०-४११ १७. चार गतियों में बाह्याभ्यन्तर विवक्षा से शरीरों के भेद. ४११ १८. बद्ध-मुक्त शरीरों का परिमाण प्ररूपण, ४१२-४१३ १९. चौबीसदंडकों में बद्ध-मुक्त शरीरों का प्ररूपण, ४१३-४१८ २०. चौबीसदंडकों के शरीर के वर्ण रस का प्ररूपण, ४१८ २१. बादर शरीर धारक कलेवरों के वर्णादि का प्ररूपण, ४१८ २२. विग्रह गति प्राप्त चौबीसदंडकों में शरीर, ४१८ २३. तीनों लोक में द्विशरीर वालों का प्ररूपण, ४१८ २४. चार कायिकों का एक शरीर सुपश्य नहीं है, ४१८-४१९ २५. सम्मूर्छिम-गर्भज-पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों और मनुष्यों की शरीर संख्या का प्ररूपण, ४१९ २६. औदारिकादि शरीरी जीवों की कायस्थिति का प्ररूपण, ४१९-४२० २७. औदारिकादि शरीरियों के अंतरकाल का प्ररूपण, ४२० २८. औदारिकादि शरीरियों का अल्पबहुत्व, ४२० २९. द्रव्यार्थादि की विवक्षा से शरीरों का अल्पबहुत्व, ४२०-४२१ २. अवगाहना ३०. अवगाहना के प्रकार, ४२१ ३१. नौ प्रकार की जीव अवगाहना, ४२१ ३२. औदारिक शरीर की अवगाहना, ४२१-४२७ ३३. वैक्रिय शरीर की अवगाहना, ४२७-४३१ ३४. आहारक शरीर की अवगाहना, ४३१ ३९६
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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