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________________ ७४४ १. एगणामे, २. दुणामे, ३ . तिणामे, ४. चउणामे, ५. पंचणामे, ६. छणामे, ७. सत्तणामे ८ अट्ठणामे, ९. णवणामे, १०. दसणामे । प से किं तं एगणामै ? उ. एगणामे पण्णत्ते, णामाणि जाणि काणि वि दव्वाण गुणाण पज्जवाणं च । तेसिं आगमनिहसे नामं ति परूविया सण्णा ॥ सेतं गणा । प. से किं तं दुणामे ? उ. दुणामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा १. एगक्खरिए य, प. से किं तं एगक्खरिए ? उ. एगक्खरिए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा ह्री : श्री धी : स्त्री । २. अणेगवखरिए । सेतं एगक्खरिए। प से किं तं अणेगक्खरिए ? उ. अणेगक्खरिए अणेगविहे, पण्णत्ते, तं जहा कण्णा, वीणा, लता, माला । सेतो अणेगक्खरिए। अहवा दुनामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१. जीवनामे य.. २. अजीवनामे य प से कि त जीवणामे ? उ. जीवणामे अणेगविहे पण्णते, तं जहा १. देवदत्तो, २. जण्णदत्तो, ३. विण्डुदत्तो, ४. सोमदत्तो । से तं जीवनामे प से किं तं अजीवनामे ? उ. अजीवनामे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा - घडो, पडो, कडो, रहो।" सेतं अजीवनामे । प. से किं तं तिनामे ? उ. तिनामे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा - - अणु. सु. २.०८-२१५ १. दव्वणामे, २. गुणणामे, ३ . पज्जवणामे य - अणु. सु. २१७ १५९. तिणाम विक्खया सद्दाणं इत्थआइ लिंग सूअयपच्चयतं पुण णामं तिविहं। १ . इत्थी २. पुरिसं ३ . णपुंसगं चेव । एएसिं तिण्डं पिय अंतम्मि परूवणं वोच्छं ॥ तत्थ पुरिसस्स अंता १ आ २. ई, ३. ऊ, ४. ओ य होंति चत्तारि ।. ते चैव इथियाए हवति, ओकारपरिहीणा ॥ १. द्विनाम का विकल्प (सु. २१६) का वर्णन द्रव्य अध्ययन में देखें। २. इसके भेद प्रभेद (सु. २१८-२२५) द्रव्य, पर्याय, पुद्गल अध्ययन में देखें। द्रव्यानुयोग - (१) १. एक नाम, २. दो नाम, ३. तीन नाम, ४. चार नाम, ५. पांच नाम, ६. छह नाम, ७. सात नाम, ८. आठ नाम, ९. नौ नाम, १०. दस नाम । प्र. एकनाम क्या है ? उ एक नाम का स्वरूप इस प्रकार है द्रव्यों, गुणों एवं पर्यायों के जो कोई नाम लोक में रूढ हैं, उन सबकी "नाम" ऐसी एक संज्ञा आगम रूप निकष (कसौटी) में कही गई है। यह एक नाम है। प्र. द्विनाम क्या है ? उ. द्विनाम दो प्रकार के कहे गए हैं, १. एकाक्षरिक, यथा २. अनेकाक्षरिक प्र. एकाक्षरिक द्विनाम क्या है ? उ. एकाक्षरिक द्विनाम अनेक प्रकार के कह गये हैं, यथा डी, श्री श्री स्त्री आदि, " यह एकाक्षरिक नाम है। प्र. अनेकाक्षरिक द्विनाम क्या है? उ. अनेकाक्षरिक द्विनाम भी अनेक प्रकार के कहे गये हैं, यथा कन्या, वीणा, लता, माला आदि, यह अनेकाक्षरिक द्विनाम है। अथवा द्विनाम दो प्रकार के कहे गयें है, यथा २. अजीवनाम । १. जीवनाम, प्र. जीवनाम क्या है ? उ. जीवनाम अनेक प्रकार के कहे गये हैं, यथा , १. देवदत्त २. यज्ञदत्त ३. विष्णुदत्त ४. सोमदत्त इत्यादि, यह जीवनाम है। घट, पट, कट, रथ इत्यादि, यह अजीबनाम है। प्र. अजीवनाम क्या है ? उ. अजीवनाम भी अनेक प्रकार के कहे गये हैं, यथा प्र. त्रिनाम क्या है ? उ. त्रिनाम तीन प्रकार के कहे गये है, यथा१. द्रव्यनाम, २. गुणनाम, ३. पर्यायनाम । १५९. त्रिनाम की विवक्षा से शब्दों के स्त्रीलिंग आदि सूचक प्रत्ययउस त्रिनाम के पुनः तीन प्रकार कहे गये हैं, १. स्त्रीनाम, २. पुरुषनाम, ३. नपुंसकनाम यथा इन तीनों प्रकार के नामों का बोध उनके अन्त्याक्षरों द्वारा होता है । पुरुषनामों के अन्त में "आ, ई, ऊ, ओ" इन चार में से कोई एक स्वर होता है तथा स्त्रीनामों के अन्त में "ओ" को छोड़कर शेष तीन (आ, ई, ऊ) स्वर होते हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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