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________________ द्रव्यानुयोग-(१) ( ६७४ - उक्कोसेणं अहेसत्तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते, तिरियं जाव असंखेज्जे दीव-समुद्दे, उड्ढं जाव सगाई विमाणाई ओहिणा जाणंति पासंति। प. अणुत्तरोववाइयदेवा णं भंते! केवइयं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? उ. गोयमा! संभिन्नं लोगणालिं ओहिणा जाणंति पासंति। -पण्ण.प.३३, सु.१९८३-२००७ ९४. चउवीसदंडएसुओहीणाणस्स संठाण परूवणं प. द.१.णेरइयाणं भंते! ओही किं संठिए पण्णते? उ. गोयमा! तप्पगारसंठिए पण्णत्ते। प. द.२.असुरकुमाराणं भंते! ओही किं संठिए पण्णत्ते? उ. गोयमा! पल्लगसंठिए पण्णत्ते। दं.३-११.एवं जाव थणियकुमाराणं। प. दं. २०. पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते! ओही किं संठिए पण्णते? उ. गोयमा!णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते। दं.२१.एवं मणूसाण वि। प. द.२२. वाणमंतराणं भंते! ओही किं संठिए पण्णत्ते? उत्कृष्ट अधःसप्तमपृथ्वी के नीचे के चरमान्त तक, तिरछे असंख्यात द्वीप समुद्र तक, ऊपर अपने विमानों तक अवधिज्ञान से जानते-देखते हैं। प्र. भन्ते! अनुत्तरोपपातिकदेव अवधिज्ञान से कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं? उ. गौतम! वे अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोकनाडी को जानते देखते हैं। ९४. चौबीसदंडकों में अवधिज्ञान के संस्थान का प्ररूपणप्र. दं.१. भन्ते! नारकों का अवधिज्ञान किस आकार वाला कहा गया है? उ. गौतम वह तप्र (नौका) के आकार का कहा गया है। प्र. दं. २. भन्ते' असुरकुमारों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! वह पल्लक (धान्य माप के पात्र) के आकार का कहा गया है। दं.३-११.इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यंत के अवधिज्ञान का संस्थान जानना चाहिए। प्र. दं. २०. भन्ते! पंचेन्द्रिय तिर्यंञ्च योनिकों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! वह नाना आकारों वाला कहा गया है। दं.२१. इसी प्रकार मनुष्यों के अवधिज्ञान का संस्थान जानना चाहिए। प्र. दं. २२. भन्ते! वाणव्यन्तर देवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! वह पटह (वाद्य) के आकार का कहा गया है। प्र. दं.२३. भन्ते! ज्योतिष्कदेवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! वह झालर के आकार का कहा गया है। प्र. दं. २४. भन्ते! सौधर्मदेवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! वह ऊर्ध्व मृदंग के आकार का कहा गया है। इसी प्रकार अच्युतदेवों पर्यन्त के अवधिज्ञान का आकार समझना चाहिए। प्र. भन्ते! ग्रैवेयकदेवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! वह फूलों की चंगेरी के आकार का कहा गया है। प्र. भन्ते! अनुत्तरोपपातिक देवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? उ. गौतम! उनका अवधिज्ञान यवनालिका के आकार का कहा गया है। ९५. चौबीस दण्डकों में अवधि ज्ञान के आनुगामित्वादि का प्ररूपणप्र. दं. १. भन्ते! नारकों का अवधिज्ञान क्या १.आनुगामिक है, २. अनानुगामिक है, ३. वर्द्धमान है, उ. गोयमा! पडहसंठाणसंठिए पण्णत्ते। प. द.२३.जोइसियाणं भंते! ओही किं संठिए पप्णते? उ. गोयमा! झल्लरिसंठाणसंठिए पण्णत्ते। प. दं.२४. सोहम्मगदेवाणं भंते! ओही किं संठिए पण्णत्ते? उ. गोयमा! उड्ढमुइंगागारसंठिए पण्णत्ते। एवं जाव अच्चुयदेवाणं। प. गेवेज्जगदेवाणं भंते! ओही किं संठिए पण्णते? उ. गोयमा! पुप्फचंगेरिसंठिए पण्णत्ते। प. अणुत्तरोववाइयाणं भंते! ओही किं संठिए पण्णत्ते? उ. गोयमा!जवणालियासंठिए ओही पण्णत्ते। __-पण्ण. प. ३३ सु. २००८-२०१६ ९५. चउवीसदंडएसु ओहिनाणस्स आणुगामित्ताइ परूवणं प. दं.१.णेरइयाणं भंते! ओही किं १.आणुगामिए,२.अणाणुगामिए, ३. वड्ढमाणए, १. जीवा. पडि.३, सु.२०२ (अनुत्तर विमावासी देव चौदह रज्जू प्रमाण लोकनाली क्षेत्र को देखते हैं यह अन्तर है।)
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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