SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 671
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६४ द्रव्यानुयोग-(१)) २१. उपयोग अध्ययन २१. उवओग-अज्झयणं मृत्र सुत्र १. उवओगस्सभेयप्पभेय परवणं प. कइविहे णं भंते ! उवओगे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते,तं जहा १. सागारोवओगे य, २. अणागारोवओगे य। प. सागारोवओगेणं भंते ! कइविहे पण्णते? उ. गोयमा ! अट्ठविहे पण्णत्ते,तं जहा १. आभिणिबोहियणाणसागारोवओगे, २. सुयणाणसागारोवओगे, ३. ओहिणाणसागारोवओगे, ४. मणपज्जवणाणसागारोवओगे, ५. केवलणाणसागारोवओगे, ६. मइअण्णाणसागारोवओगे, ७. सुयअण्णाणसागारोवओगे, ८. विभंगणाणसागारोवओगे। प. अणागारोवओगेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा १. चक्खुदंसणअणागारोवओगे, २. अचक्खुदंसणअणागारोवओगे, ३. ओहिदंसणअणागारोवओगे, ४. केवलदसणअणागारोवओगे। __ -पण्ण. प. २९, सु. १९०८-१९१० २. ओहेण जीवेसु उवओग परूवणंएवं जीवाणं पि। -पण्ण.प.२९,सु.१९११ ३. उवओगाणं अगरुयलहुयत्त परूवणंसागारोवओगो अणागारोवओगो चउत्थएणं पएणं (अगरुय -विया. स. १, उ.९, सु. १४ ४. उवओगाणं वण्णाइअभावो सागारोवओगे य अणागारोवओगे य अवण्णा अगंधा अरसा अफासा। -विंया. स. १२, उ.५, सु.३२ ५. उवओगनिव्वत्ती भेया चउवीसदंडएमय परूवणं प. कइविहा णं भंते ! उवओगनिव्वत्ती पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा उवओगनिव्वत्ती पण्णत्ता,तं जहा १. सागारोवओगनिव्वत्ती, २. अणागारोवओगनिव्वत्ती। दं.२-२४. एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं। -विया. स. १९, उ.८, सु.४४-४५ १. उपयोग के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण प्र. भन्ते ! उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! उपयोग दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. साकारोपयोग, २. अनाकारोपयोग। प्र. भन्ते ! साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! आठ प्रकार का कहा गया है, यथा १. आभिनिबोधिकज्ञान-साकारोपयोग, २. श्रुतज्ञान-साकारोपयोग, ३. अवधिज्ञान-साकारोपयोग, ४. मनःपर्यवज्ञान-साकारोपयोग, ५. केवलज्ञान-साकारोपयोग, ६. मतिअज्ञान-साकारोपयोग, ७. श्रुतअज्ञान-साकारोपयोग, ८. विभंगज्ञान-साकारोपयोग। प्र. भन्ते ! अनाकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! चार प्रकार का कहा गया है, यथा १. चक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग, २. अचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग, ३. अवधिदर्शन-अनाकारोपयोग, ४. केवलदर्शन-अनाकारोपयोग। २. सामान्यतःजीवों में उपयोगों का प्ररूपण इसी प्रकार समुच्चय जीवों में जानना चाहिए। ३. उपयोगों के अगुरुलघुत्व का प्ररूपण साकारोपयोग और अनाकारोपयोग चतुर्थपद (अगुरुलघुत्व) वाले जानने चाहिए। ४. उपयोगों में वर्णादि का अभाव साकारोपयोग और अनाकारोपयोग ये दोनों वर्ण-गंध-रस और स्पर्श से रहित हैं। ५. उपयोग-निवृत्ति के भेद और चौबीस दंडकों में प्ररूपण प्र. भन्ते ! उपयोग निर्वृत्ति कितने प्रकार की कही गई है? उ. गौतम ! उपयोग निवृत्ति दो प्रकार की कही गई है, यथा १. साकारोपयोग निवृत्ति २. अनाकारोपयोग निर्वृत्ति। दं. २-२४. इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त जानना चाहिए। १. विया.स.१६,उ.७,सु.१
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy