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________________ भाषा अध्ययन ८. भाषा में अचित्तत्व का प्ररूपण प्र. भन्ते ! भाषा सचित्त है या अचित्त है? उ. गौतम ! भाषा सचित्त नहीं है, अचित्त है। ९. भाषा में अजीवत्व का प्ररूपण प्र. भन्ते ! भाषा जीव है, या अजीव है? उ. गौतम ! भाषा जीव नहीं है अजीव है। ८. भासाए अचित्तत्त परूवणं प. सचित्ता भंते ! भासा, अचित्ता भासा? उ. गोयमा ! नो सचित्ता भासा,अचित्ता भासा। -विया. स. १३, उ.७, सु.४ ९. भासाए अजीवत्त परूवणं प. जीवा भंते ! भासा, अजीवा भासा? उ. गोयमा ! नो जीवा भासा, अजीवा भासा। -विया. स. १३, उ.७,सु.५ १०. अजीवाणं भासा णिसेहो प. जीवाणं भंते ! भासा,अजीवाणं भासा? उ. गोयमा ! जीवाणं भासा,नो अजीवाणं भासा। -विया.स.१३, उ.७,सु.६ ११. भासिज्जमाणीभासा भासा परूवणं प. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परूवेंति १०. अजीवों के भाषा का निषेध प्र. भन्ते ! भाषा जीवों के होती है या अजीवों के होती है? उ. गौतम ! भाषा जीवों के होती है, अजीवों के नहीं होती है। "पुट्वि भासा भासा, भासिज्जमाणी भासा अभासा, भासा समय विइक्कंतं च णं भासिया भासा भासा," जा सा पुब्बिं भासा भासा, भासिज्जभाणी भासा अभासा, भासा समय विइक्कंतं च णं भासिया भासा भासा, सा किं भासओ भासा? अभासओ भासा? उ. अभासओ णं सा भासा, नो खलु सा भासओ भासा। प. से कहमेयं भंते ! एवं? उ. गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एवं परूवेंति"पुव्विं भासा भासा, भासिज्जभाणी भासा अभासा जाव नो खलु सा भासओ भासा" । जे ते एवमाहंसुमिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि "पुव्विं भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासा समय विइक्कंतं च णं सा भासिया भासा अभासा। ११. 'बोली जाती हुई भाषा ही भाषा है' का प्ररूपणप्र. भन्ते ! अन्यतीर्थिक जो इस प्रकार कहते हैं यावत् प्ररूपणा करते हैं कि "बोलने से पहले की जो भाषा है वह भाषा है, बोलते हुए की भाषा भाषा नहीं है। बोलने का समय बीत जाने के बाद की जो भाषा है वह भाषा है।" जो वह बोलने से पहले की भाषा भाषा है, बोलते हुए की भाषा भाषा नहीं है, बोलने का समय बीत जाने के बाद की भाषा है वह भाषा है, वह क्या बोलने वाले की भाषा है या न बोलने वाले की भाषा है? उ. वह न बोलने वाले की भाषा है किन्तु बोलने वाले की भाषा नहीं है। प्र. हे भन्ते ! क्या यह कथन ठीक है? उ. गौतम ! अन्यतीर्थिक जो इस प्रकार कहते हैं यावत् प्ररूपणा करते हैं कि "बोलने से पहले की भाषा भाषा है-बोलते हुए की भाषा भाषा नहीं है यावत् बोलने वाले की भाषा भाषा है"। यह जो उनका कथन है वह मिथ्या है। गौतम ! मैं इस प्रकार कहता हूँ यावत् प्ररूपणा करता हूँ कि "बोलने से पहले की भाषा भाषा नहीं है, बोलते हुए की भाषा भाषा है। बोलने का समय बीत जाने के बाद की भाषा भाषा नहीं है। प्र. जो वह बोलने से पहले की भाषा भाषा नहीं है, बोलते हुए की भाषा है, बोलने का समय बीत जाने के बाद की भाषा भाषा भाषा नहीं है, वह क्या बोलने वाले की भाषा है या न बोलने वाले की भाषा है? उ. गौतम ! वह बोलने वाले की भाषा है, न बोलने वाले की भाषा नहीं है। प. जा सा पुट्विं भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासा समय विइक्कंतं च णं भासिया भासा अभासा, सा किं भासओ भासा, अभासओ भासा ? उ. भासओणं भासा, नो खलु सा अभासओ भासा। -विया.स.१,उ.१०.सु.१ १. (क) विया.स.१३, उ.७, सु.७ (ख) आ.सु.२,अ.४, उ.१.सु.५२३
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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