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________________ वीर सुवीर, वीरगत, वीरश्रेणिक, वीरावत, वीरप्रभ, वीरकान्त, वीरवर्ण, वीरलेश्य, वीरध्वज, वीरशृंग, वीरसृष्ट, वीरकूट और वीरोत्तरावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैंवे देव छह पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। ७. जो देव सम, समप्रभ, महाप्रभ, प्रभास, भासुर, विमल, कांचनकूट और सनत्कुमारावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैं उच्छ्वास अध्ययन वीरं सुवीरं वीरगतं वीरसेणियं वीरावत्तं वीरप्पभं वीरकंतं वीरलेसं वीरज्झयं, वीरसिंगं वीरसिट्ठ वीरकूड वीरुत्तरवडेंसगं विमाणे देवत्ताए उववण्णाते णं देवा छह अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम.सम.६, सु. १४-१५ ७. जे देवा समं समप्पभं महापभं पभासं भासुरं विमलं कंचणकूडं सणंकुमारवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णाते णं देवा सत्तण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम. सम.७, सु. २०-२१ जे देवा अच्चिं अच्चिमालिं वइरोयणं पभंकर चंदाभं सुराभं सुपइट्ठाभं अग्गिच्चाभं रिट्ठाभं अरुणाभं अरुणुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णाते णं देवा अट्ठण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम. सम.८, सु.१५-१६ ९. जे देवा पम्हं सुपम्हं पम्हावत्तं पम्हप्पभं पम्हकंतं पम्हवण्णं पम्हलेसं जाव पम्हुत्तरवडेंसगं सुज्जं सुसुज्ज सुज्जावत्तं सुज्जप्पभं सुज्जकंतं जाव सुज्जुत्तरवडेंसगं रुइल्लं रुइल्लावत्तं रुइल्लप्पभं जाव रुइल्लुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णाते णं देवा नवण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम.९, सु. १७-१८ १०. जे देवा घोसं सुघोसं महाघोसं नंदिघोसं सुसरं मणोरम रम्म रम्मगं रमणिज्जं मंगलावत्तं बंभलोगवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णाते णं देवा दसहं अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम. सम.90, सु. २२-२३ ११. जे देवा बंभं सुबंभं बंभावत्तं बंभप्पभं बंभकंतं बंभवण्णं बंभलेसं बंभज्झयं बंभसिंगं बंभसिटुं बंभकूडं बंभुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा-, ते णं देवा एकारसह अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम. सम.११, सु. १३-१४ जे देवा महिंदं महिंदज्झयं कंबुं कंबुग्गीवं पुखं सुपुंखं महापुंखं पुंडु सुपुंडं महापुंडं नरिंदं नरिंदकंतं नरिंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा-, ते णं देवा बारसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम. सम. १२, सु. १७-१८ १३. जे देवा वज्जं सुवज्जं वज्जावत्तं वज्जप्पभं वज्जकंतं वज्जवण्णं वज्जलेसं वज्जज्झयं वज्जसिगं वज्जसिट्ठ वज्जकूडं वज्जुत्तरवडेंसगं वइरं वइरावत्तं जाव वइरुत्तरवडेंसगं लोगं लोगावत्तं लोगप्पभं जाव लोगुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णाते णं देवा तेरसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा जाव नीससंति वा। -सम. सम. १३, सु. १४-१५ सातवा वे देव सात पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। ८. जो देव अर्चि, अर्चिमाली, वैरोचन, प्रभंकर, चन्द्राभ, सूराभ, सुप्रतिष्ठाभ, अग्न्यर्चाभ रिष्टाभ, अरुणाभ और अरुणोत्तरावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैंवे देव आठ पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। जो देव पक्ष्म, सुपक्ष्म, पक्ष्मावत, पक्ष्मप्रभ, पक्ष्मकान्त, पक्ष्मवर्ण, पक्ष्मलेश्य यावत् पक्ष्मोत्तरावतंसक तथाजो देव सूर्य, सूसूर्य, सूर्यावर्त, सूर्यकान्त यावत् सूर्योत्तरावतंसक एवं रुचिर, रुचिरावर्त रुचिरप्रभ यावत् रुचिरोत्तरावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैंवे देव नौ पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। १०. जो देव घोष, सुघोष, महाघोष, नंदीघोष, सुस्वर, मनोरम, रम्य, रम्यक्, रमणीय, मंगलावर्त और ब्रह्मलोकावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैंवे देव दस पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। ११. जो देव ब्रह्म, सुब्रह्म, ब्रह्मावर्त्त, ब्रह्मप्रभ, ब्रह्मकान्त, ब्रह्मवर्ण, ब्रह्मलेश्य, ब्रह्मध्वज, ब्रह्मशृंग, ब्रह्मसृष्ट, ब्रह्मकूट और ब्रह्मोत्तरावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैंवे देव ग्यारह पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। १२. जो देव माहेन्द्र, माहेन्द्रध्वज, कंबु, कंबुग्रीव, पुंख, सुपुंख, पुंड्र, सुपंड्र महापुंड्र नरेन्द्र, नरेन्द्रकान्त और नरेन्द्रोत्तरावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैंवे देव बारह पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। १३. जो देव, वज्र, सुवज्र, वज्रावर्त, वज्रप्रभ, वज्रकान्त, वज्रवर्ण, बजलेश्य, वज्रध्वज, वज्रशृंग, वज्रसृष्ट, वजकूट, वज्रोत्तरावतंसक तथावैर, वैरावत यावत् वैरोत्तरावतंसक एवं लोक, लोकावर्त, लोकप्रभ यावत् लोकोत्तरावतंसक विमानों में उत्पन्न होते हैं १२. वे देव तेरह पक्षों से श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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