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________________ ५०८ द्रव्यानुयोग-(१) प्र. भन्ते ! क्या वायुकाय वायुकायिक जीवों को श्वासोच्छ्वास के __ रूप में ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं ? उ. हाँ, गौतम ! वायुकाय वायुकायिक के रूप में श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते हैं और छोड़ते हैं। २. चौबीस दण्डकों में उच्छ्वास निःश्वासकालप्र. द.१ भन्ते ! नैरयिक कितने काल से (बाह्य और आभ्यन्तर) उच्छ्वास और निश्वास लेते हैं ? उ. गौतम ! वे सदैव निरन्तर उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं। प. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव आणमंति वा जाव नीससंति वा? उ. गोयमा ! वाउयाए णं वाउयाए चेव आणंमति वा जाय नीससंति वा। -विया.स.२, उ.१,सु.२-६ २. चउवीसदंडएसु उस्सास-नीसास कालोप. द. १. नेरइया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा, पाणमंति वा,ऊससंति वा, नीससंति वा? उ. गोयमा ! सततं संतयामेव आणमंति वा जाव नीससंति वा। प. दं.२-११ असुरकुमारा णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा जावनीससंति वा? उ. गोयमा ! जहण्णेणं सत्तण्हं थोवाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा। प. णागकुमारा णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससति वा? उ. गोयमा ! जहण्णेणं सत्तण्हं थोवाणं आणमंति वा जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं मुहत्तपुहुत्तस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा। एवं जाव थणियकुमाराणं ३ प्र. दं.२-११ भन्ते ! असुरकुमार देव कितने काल में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं ? उ. गौतम ! वे जघन्य सात स्तोक में उच्छ्वास यावत् निःश्यास लेते हैं, उत्कृष्ट सातिरेक एक पक्ष में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं। प्र. भन्ते ! नागकुमार कितने काल में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं ? उ. गौतम ! वे जघन्य सात स्तोक में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं, उत्कृष्ट अनेक मुहूर्तों में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं। इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त श्वासोच्छ्वास के लिए जान लेना चाहिए। प्र. दं. १२ भन्ते ! पृथ्वीकायिक जीव कितने काल में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं ? उ. गौतम ! विमात्रा से उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं, द.१३-२१ इसी प्रकार मनुष्यों पर्यन्त श्वासोच्छ्वास के लिए जान लेना चाहिए। द.२२ वाणव्यन्तर देव नागकुमारों के समान उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं। प्र. द.२३ भन्ते ! ज्योतिष्क देव कितने काल में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं ? उ. गौतम ! वे जघन्य अनेक मुहूर्त में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं, उत्कृष्ट भी अनेक मुहूर्तों में उच्छ्वास यावत् निःश्वास लेते हैं। प. द. १२ पुढविकाइया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा? उ. गोयमा ! वेमाइयाए आणमंति वा जाव नीससंति वा। दं.१३-२१ एवंजाव मणूसा। द.२२ याणमंतराजहाणागकुमारा। प. द. २३ जोइसिया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा? उ. गोयमा ! जहण्णेणं मुहत्तपुहुत्तस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा, उक्कोसेण वि मुहत्तपुहुत्तस्स७ आणमंति वा जाव नीससंति वा। प. द. २४ वेमाणिया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा? प्र. द. २४ भन्ते ! वैमानिक देव कितने काल में उच्छवास यावत् निःश्वास लेते हैं ? १. विया.स.१,उ.१.सु.६(१) २. विया.स.१,उ.१.सु.६(२) ३. विया.स.१,उ.१.सु.६(३) . ४. (क) विया.स.१,उ.१.सु.६(१२) (ख) विया.स.१,उ.१,सु.६(१३-१६) (ग) बिया.स.१,उ.१,सु.६(१७-२०) ५. विया.स.१,उ.१,सु.६(२१) ६. विया.स.१.उ.१.सु. ६ (२२) ७. विया.स.१,उ.१, सु.६ (२३)
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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