SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 603
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४९६ प. विजय वैजयंत- जयंत अपराजियदेवाणं भंते! इयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ? उ. गोयमा ! अनंता । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! णत्थि । एवं जाव जोइसियते। वरं - एसि मणूसत्ते अतीता अनंता । प. केवड्या बजेगा ? उ. गोवमा णत्थि । प. केवड्या पुरेक्खडा उ. गोयमा ! असंखेज्जा । एवं जाय गेयेज्जगदेवते। सट्टाणे अतीता असंखेज्जा । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! असंखेज्जा प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! असंखेज्जा । सव्वसिद्धगदेवत्ते अतीता पाथि बललगा पत्थि पुरेक्खडा असंखेज्जा । प. सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते ! णेरइयत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता ? उ. गोयमा ! अनंता । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! णत्थि । एवं मणूसवज्जं जाव गेवेज्जगदेवते । मणूसत्ते अतीता अनंता । प. केवइया बचेल्लगा? उ. गोयमा ! णत्थि प. केवइया पुरेक्खडा। उ. 'गोयमा ! संखेज्जा । प. विजय वैजयंत-जयंत अपराजिय दव्विंदिया अतीता? उ. गोयमा ! संखेज्जा । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! णत्थि । देवते केवइया द्रव्यानुयोग - (१) प्र. भन्ते ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों की नैरयिक के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! वे अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। इसी प्रकार ज्योतिष्कदेव पर्याय पर्यन्त भी जानना चाहिए। विशेष- इनकी मनुष्य रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां अनन्त है। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! असंख्यात हैं। इसी प्रकार ग्रैवेयक देव पर्याय पर्यन्त भी कहना चाहिए। इनकी स्वस्थान में अतीत द्रव्येन्द्रियां असंख्यात हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! असंख्यात है। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! असंख्यात हैं। सर्वार्थसिद्धदेव रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां नहीं हैं, बद्ध द्रव्येन्द्रियां भी नहीं हैं। किन्तु पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां असंख्यात है। प्र. भन्ते ! सर्वार्थसिद्ध देवों की नैरयिक के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! नहीं हैं। इसी प्रकार मनुष्य को छोड़कर वैवेयकदेव पर्याय पर्यन्त द्रव्येन्द्रियां कहनी चाहिए। मनुष्य के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां अनन्त है। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! संख्यात हैं। प्र. भन्ते ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजितदेव के रूप में इनकी अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! संख्यात हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy