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________________ ४९४ उ. गोयमा ! कस्सइ अत्थि, करसइ णत्थि, जस्सऽल्थि अट्ठ प. एगमेगस्स णं भंते ! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स णेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ? उ. गोयमा ! अनंता । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोवमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! णत्थि । एवं मणूसवज्जं जाव गेवेज्जगदेवते। णवरं मणूसत्ते अतीता अनंता । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! अट्ठ । विजय- वेजयंत जयंत अपराजिवदेवत्ते अतीता करसइ अत्थि, कस्स णत्थि जस्सऽ तिथ अट्ठ प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. एगमेगस्स णं भंते ! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवते केवइया दव्वंदिया अतीता ? उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया बखेल्लगा ? उ. गौयमा ! अड प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोवमा ! णत्थि प. णेरइयाणं भंते ! णेरइयत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता ? उ. गोयमा ! अनंता । प. केवइया बद्धेल्लगा ? उ. गोयमा ! असंखेज्जा । प. केवइया पुरेक्खडा ? उ. गोयमा ! अनंता। प णेरइयाणं भंते! असुरकुमारते केवइया दव्विंदिया अतीता ? उ. गोयमा ! अनंता । प. केवइया बद्धेल्लगा । उ. गोयमा ! णत्थि । प. केवइया पुरेक्खडा ? द्रव्यानुयोग - (१) उ. गौतम ! किसी के होती हैं और किसी के नहीं होती हैं। जिसके होती है, उसके आठ होती हैं। प्र. भन्ते ! प्रत्येक सर्वार्थसिद्धदेव की नारक के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। इसी प्रकार मनुष्य को छोड़कर ग्रैवेयक देव पर्याय पर्यन्त द्रव्येन्द्रियां कहनी चाहिए। विशेष - मनुष्य के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी है ? उ. गौतम ! आठ हैं। विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजितदेव के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां किसी के हैं और किसी के नहीं है। जिसके हैं, उसके आठ हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. भन्ते ! प्रत्येक सर्वार्थसिद्धदेव की सर्वार्थसिद्धदेव के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! नहीं हैं। प्र. भन्ते ! बहुत से नैरयिकों की नारक रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी है ? उ. गौतम ! असंख्यात हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. भन्ते ! बहुत-से नैरयिकों की असुरकुमार के रूप में अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी है? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम नहीं है। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ?
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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