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________________ ४७८ प. कइविहा णं भंते ! भोगा पण्णत्ता? उ. गोयमा !तिविहा भोगा पण्णत्ता,तं जहा १. गंधा, २. रसा, ३. फासा। प. कइविहाणं भंते ! कामभोगा पण्णत्ता? उ. गोयमा !पंचविहा कामभोगा पण्णत्ता,तं जहा१.सद्दा,२.रूवा,३.गंधा,४.रसा,५.फासा। -विया. स.७, उ.७, सु.२-१२ ७. पंचविह-इंदिय-विसयाणं पोग्गल-परिणाम प. कइविहे णं भंते ! इंदियविसए पोग्गल-परिणामे पण्णत्ते? द्रव्यानुयोग-(१) प्र. भंते ! भोग कितने प्रकार के कहे गए हैं ? उ. गौतम ! भोग तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. गन्ध, २. रस, ३. स्पर्श। प्र. भंते ! काम भोग कितने प्रकार के कहे गए हैं ? उ. गौतम ! काम भोग पांच प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. शब्द, २. रूप, ३. गन्ध, ४. रस, ५. स्पर्श। उ. गोयमा ! पंचविहे इंदियविसए पोग्गल-परिणामे पण्णत्ते, तं जहा१.सोइंदियविसए पोग्गल-परिणामे जाव ५. फासिंदिय विसए पोग्गल-परिणामे। प. सोइंदियविसए णं भंते ! पोग्गल-परिणामे कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते,तं जहा १.सुब्भि-सद्दपरिणामे य २. दुब्भि-सद्दपरिणामे य, .. एवं चक्विंदियविसए पोग्गल-परिणामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१.सुरूव-परिणामे, २. दुरूव-परिणामे य, एवं घाणिदियविसए पोग्गल-परिणामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१.सुरभिगंध-परिणामे, २. दुरभिगंध-परिणामे य, एवं जिब्मिंदियविसए पोग्गल-परिणामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१.सुरस-परिणामे, २. दुरस-परिणामे य, एवं फासिंदियविसए पोग्गल-परिणामे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा १.सुफास-परिणामे, २. दुफास-परिणामे य, प. से नूणं भंते ! उच्चावएसु सद्दपरिणामेसु, उच्चावएसुरूवपरिणामेसु, उच्चावएसुगंधपरिणामेसु, उच्चावएसु रसपरिणामेसु, उच्चावएसु फासपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तव्वं सिया? ७. पांच इन्द्रियों के विषयों का पुद्गल परिणामप्र. भन्ते ! इन्द्रियों का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! इन्द्रियों का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम पांच प्रकार का कहा गया है, यथा१. श्रोत्रेन्द्रिय का विषयभूत पुद्गल परिणाम यावत् ५. स्पर्शेन्द्रिय का विषयभूत पुद्गल परिणाम। प्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है, यथा १.सुशब्दों का परिणाम २. दुशब्दों का परिणाम। इसी प्रकार चक्षुइन्द्रियों का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. सुरूप परिणाम, २. दुरूप परिणाम। इसी प्रकार घ्राणिन्द्रियों का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. सुगन्ध परिणाम २. दुर्गन्ध परिणाम। इसी प्रकार जिह्वेन्द्रिय का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम दो प्रकार का कहा गया है, यथा१.सुरस परिणाम २. दुरसपरिणाम। इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय का विषयभूत पुद्गलों का परिणाम दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. सुस्पर्श परिणाम, २. दुस्पर्श परिणाम। प्र. भन्ते ! क्या अच्छे बुरे शब्द परिणामों में, अच्छे बुरे रूप परिणामों में, अच्छे बुरे गन्ध परिणामों में, अच्छे बुरे रस परिणामों में, अच्छे बुरे स्पर्श परिणामों में, परिणमित होते हुए पुद्गल परिणत होते हैं ऐसा कहा जा सकता है? उ. हां, गौतम ! अच्छे बुरे शब्द परिणामों में परिणमित होते हुए ..पुद्गल परिणत होते हैं ऐसा कहा जा सकता है। प्र. भन्ते ! क्या सुशब्दों के पुद्गल दुःशब्दों के रूप में परिणत होते हैं ? या दुःशब्दों के पुद्गल सुशब्दों के रूप में परिणत होते हैं? उ. हां, गौतम ! सुशब्दों के पुद्गल दुःशब्दों के रूप में परिणत होते हैं तथा दुःशब्दों के पुद्गल सुशब्दों के रूप में परिणत होते हैं। उ. हंता, गोयमा ! उच्चावएसु सद्दपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तव्वं सिया।। प. से नूणं भंते ! सुब्भिसद्दा पोग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति, दुब्भिसद्दा पोग्गला सुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति? उ. हंता, गोयमा ! सुब्भिसद्दा पोग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति, दुब्भिसद्दा पोग्गला सुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति,
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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