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द्रव्यानुयोग-(१)]
मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही
गई है? उ. गौतम ! देवेन्द्र देवराज लान्तक की
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति सात पल्योपम सहित बारह सागरोपम की कही गई है। मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति छ पल्योपम सहित बारह सागरोपम की कही गई है। बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति पांच पल्योपम सहित बारह सागरोपम की कही गई है।
मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !लंतगस्सणं देविंदस्स देवरण्णो
अभिंतरियाए परिसाए देवाणं बारस सागरोवमाइं सत्त पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। मज्झिमियाए परिसाए देवाणं बारस सागरोवमाइं छच्च पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवाणं बारस सागरोवमाई पंच पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता।
-जीवा. पडि.३, उ.२, सु. १९९(ई) १०४. महासुक्क कप्पे देवाणं ठिई
प. महासुक्के कप्पे णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण चोद्दस सागरोवमाई,
उक्कोसेण सत्तरस सागरोवमाई। प. अपज्जत्तयाणं भंते ! महासुक्के कप्पे देवाणं केवइयं
कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । प. पज्जत्तयाणं भंते ! महासुक्के कप्पे देवाणं केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं चोद्दस सागरोवमाई अंतोमुहत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई।
-पण्ण.प.४, सु.४२१ १०५. महासुक्क कप्पे अत्थेगइया देवाणं ठिई
महासुक्के कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं पण्णरस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१५, सु. १२ महासुक्के कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं सोलस
सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १६, सु. १२ १०६. महासुक्क देविंदस्स परिसागय देवाणं ठिईप. महासुक्कस्सणं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो
अभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! महासुक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो
अभिंतरियाए परिसाए देवाणं अद्धसोलस
१०४. महाशुक्र कल्प में देवों की स्थिति
प्र. भंते ! महाशुक्रकल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही
गई है? उ. गौतम ! जघन्य चौदह सागरोपम की,
उत्कृष्ट सतरह सागरोपम की। प्र. भंते ! महाशुक्रकल्प में अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने
काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भंते ! महाशुक्रकल्प में पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम चौदह सागरोपम की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम सतरह सागरोपम की।
१०५. महाशुक्र कल्प में कतिपय देवों की स्थिति
महाशुक्र कल्प के कतिपय देवों की स्थिति पन्द्रह सागरोपम की कही गई है। महाशुक्र कल्प के कतिपय देवों की स्थिति सोलह सागरोपम
की कही गई है। . १०६. महाशुक्र देवेन्द्र के परिषदागत देवों की स्थितिप्र. भंते ! देवेन्द्र देवराज महाशुक्र की
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही
गई है? उ. गौतम ! देवेन्द्र देवराज महाशुक्र की
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति पांच पल्योपम सहित
- १. (क) अणु. कालदारे सु.३९१/७
(ख) उत्त.अ.३६, गा.२२८
(ग) सम.सम.१४,सु.१४ (ज.) (घ) सम.सम.१७,सु.१६ (उ.)