SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 439
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्रव्यानुयोग-(१) १२. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चउद्दस १२. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति चौदह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १४, सु. १२ पल्योपम की कही गई है। १३. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं पण्णरस १३. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति पन्द्रह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१५, सु.११ पल्योपम की कही गई है। १४. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सोलस १४. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति सोलह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१६, सु.११ पल्योपम की कही गई है। १५. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सत्तरस १५. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति सतरह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१७, सु.१५ पत्योपम की कही गई है। १६. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं अट्ठारस १६. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति अठारह पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१८, सु. १२ पल्योपम की कही गई है। १७. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एगूणवीसं १७. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति उन्नीस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १९, सु.९ पल्योपम की कही गई है। १८. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं बीसं १८. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति बीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२०, सु.११ पल्योपम की कही गई है। १९. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कवीसं १९. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति इक्कीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२१, सु.८ पल्योपम की कही गई है। २०. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं बावीसं २०. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति बाईस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २२, सु.११ पल्योपम की कही गई है। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तेवीसं २१. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति तेईस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २३, सु.८ पल्योपम की कही गई है। २२. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चउवीसं २२. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति चौबीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २४, सु.१०।। पल्योपम की कही गई है। २३. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं पणवीसं २३. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति पच्चीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२५, सु.१३ पल्योपम की कही गई है। २४. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छव्वीसं २४. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति छब्बीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २६, सु.६ पल्योपम की कही गई है। २५. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सत्तावीसं २५. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति सत्ताईस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २७, सु.१० पल्योपम की कही गई है। २६. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं अट्ठावीसं २६. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति अट्ठाईस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २८, सु. ९ पल्योपम की कही गई है। २७. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एगणतीसं २७. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति उनतीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२९, सु. १३ पल्योपम की कही गई है। २८. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तीसं २८. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति तीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३०, सु.११ पल्योपम की कही गई है। २९. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कतीसं २९. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति इकत्तीस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३१, सु. ९ पल्योपम की कही गई है। ३०. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं बत्तीसं ३०. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति बत्तीस पलिओवमाईं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३२, सु.१० पल्योपम की कही गई है। ३१. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं ३१. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति तेतीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. ३३, सु. ९ पल्योपम की कही गई है। ९३. सणंकुमार कप्पे देवाणं ठिई ९३. सनत्कुमार कल्प में देवों की स्थितिप. सणंकुमारे कप्पे णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई प्र. भन्ते ! सनत्कुमारकल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही पण्णत्ता? गई है? उ. गोयमा !जहण्णेण दो सागरोवमाई, उ. गौतम ! जघन्य दो सागरोपम की,
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy