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________________ स्थिति अध्ययन - ३३१ ) मज्झिमियाए परिसाए देवाणं छह पलिओवमाई ठिई मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति छह पल्योपम की कही पण्णत्त। गई है। बाहिरियाए परिसाए देवाणं पंच पलिओवमाई ठिई बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति पांच पल्योपम की कही पण्णत्त -जीवा. पडि.३, उ.२, सु. १९९(अ) प. ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो प्र. भन्ते ! देवेन्द्र देवराज ईशान कीअभिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही पण्णत्ता? गई है? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही पण्णत्ता? गई है? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गोयमा ! ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो उ. गौतम ! देवेन्द्र देवराज ईशान कीअब्भिंतरियाए परिसाए देवीणं पंच पलिओवमाई ठिई आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति पांच पल्योपम की पण्णत्ता। कही गई है। मज्झिमियाए परिसाए देवीणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई मध्यम परिषदा के देवियों की स्थिति चार पल्योपम की कही पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवीणं तिण्णि पलिओवमाई ठिई बाह्य परिषदा के देवियों की स्थिति तीन पल्योपम की कही पण्णत्ता। -जीवा. पडि. ३, उ.२, सु. १९९(आ) ९२. सोहम्मीसाण कप्पेसु अत्थेगइय देवाणं ठिई ९२. सौधर्म-ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति१. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तिण्णि १. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति तीन पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३, सु.१९ पल्योपम की कही गई है। २. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि २. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति चार पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.४, सु. १३ पल्योपम की कही गई है। ३. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं पंच ३. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति पांच पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.५, सु. १७ पल्योपम की कही गई है। ४. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ ४. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति छह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। सम. सम.६, सु.१२ - पल्योपम की कही गई है। ५. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सत्त ५. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति सात पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.७, सु.१६ पल्योपम की कही गई है। ६. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं अट्ठ ६. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति आठ पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.८, सु. १३ पल्योपम की कही गई है। ७. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं णव ७. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति नौ पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. ९, सु. १५ पल्योपम की कही गई है। ८. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं दस ८. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति दस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १०, सु. १९ पल्योपम की कही गई है। ९. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कारस ९. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति ग्यारह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. ११, सु. ११ पल्योपम की कही गई है। १०. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं बारस १०. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति बारह पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १२, सु. १५ पल्योपम की कही गई है। ११. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तेरस ११. सौधर्म और ईशानकल्प के कतिपय देवों की स्थिति तेरह पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१३, सु.१२ पल्योपम की कही गई है। परका १. ठाणं अ.६ सु.५०६ २. ठाणं अ.५ उ.१,सु.४०५ (२) ३. ठाणं अ.४ उ.१सु.२६०(२) ४. ठाणं अ.३ उ.४ सु.२०२(३)
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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