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________________ ३१८ अभितरियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता । मज्झिमियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता । बाहिरियाए परिसाए देवाणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता । प. भूयानंदस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णोअभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? मज्झमिया परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! भूयाणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अब्भितरियाए परिसाए देवाणं देणं पलिओचमं टिई पण्णत्ता । मज्झिनियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपतिओवम ठिई पण्णत्ता । बाहिरियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओचमं टिई पण्णत्ता । प. धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णोअब्भिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? मज्झिनियाए परिसाए देवीणं केवइयं काल टिई पण्णत्ता ? बाहिरियाए परिसाए देवीण केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! धरण्णस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णोअभितरियाए परिसाए देवीण देसूण अद्धपलिओयमं ठिई पण्णत्ता | झिमियाए परिसाए देवीणं साइरेग चउभागपलिओवमं ठिई पण्णत्ता । बाहिरियाए परिसाए देवीणं चउभागपलिओवमं ठिई पण्णत्ता । प. भूयाणंदस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णोअभिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं विई पण्णत्ता ? मज्झमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं टिई पण्णत्ता ? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! भूयाणंदरसणं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णोअब्मितरियाए परिसाए देवीण अद्धपलिओयमं टिई पण्णत्ता । द्रव्यानुयोग - (१) आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कुछ अधिक अर्ध पत्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति अर्ध पत्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कुछ कम अर्ध पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानंद की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कुछ कम एक पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कुछ अधिक अर्द्धपल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति आधे पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण कीआभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कुछ कम अर्ध पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कुछ अधिक चतुर्थ भाग पल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति चतुर्थ भाग पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति अर्ध पल्योपम की कही गई है।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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