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________________ - २९१ ) १३. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति तेरह पल्योपम की कही गई है। १४. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति चौदह पल्योपम की कही गई है। १५. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति पन्द्रह पल्योपम की कही गई है। १६. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति सोलह पल्योपम की कही गई है। १७. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति सतरह पल्योपम की कही गई है। १८. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति अठारह पल्योपम की कही गई है। १९. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति उन्नीस पल्योपम की कही गई है। स्थिति अध्ययन १३. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेरस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १३, सु. ९ १४. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. १४, सु. ९ १५. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पण्णरस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता।-सम. सम.१५, सु.८ १६. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सोलस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१६, सु.८ १७. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्तरस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता सम. सम. १७, सु.११ १८. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठारस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.१८,सु.९ १९. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एगूणवीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम.सम.१९,सु.६ २०. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं वीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम.सम.२०, सु.८ २१. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एकवीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२१, सु. ५ २२. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बावीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २२, सु.७ २३. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेवीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २३, सु. ५ २४. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउवीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २४, सु.७ २५. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पणवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२५, सु.१० २६. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं छब्बीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २६, सु.३ २७. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्तावीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता।-सम. सम.२७, सु.७ २८. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२८, सु.६ २९. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एगूणतीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२९,सु.१० ३०. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३०, सु. ९ ३१. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एक्कतीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। "'-सम. सम.३१, सु.६ ३२. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बत्तीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३२, सु.७ २०. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति बीस पल्योपम की कही गई है। २१. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति इक्कीस पल्योपम की कही गई है। २२. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति बाईस पल्योपम की कही गई है। २३. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति तेईस पल्योपम की कही गई है। २४. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति चौबीस पल्योपम की कही गई है। २५. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति पच्चीस पल्योपम की कही गई है। २६. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति छब्बीस पल्योपम की कही गई है। २७. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति सत्ताईस पल्योपम की कही गई है। २८. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति अट्ठाईस पल्योपम की कही गई है। २९. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति उन्तीस पल्योपम की कही गई है। ३०. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति तीस पल्योपम की कही गई है। ३१. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति इकत्तीस पल्योपम की कही गई है। ३२. इस रलप्रभा पृथ्वी के कतिपय नैरयिकों की स्थिति बत्तीस पल्योपम की कही गई है।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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