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________________ स्थिति अध्ययन २८७ ) - १२. स्थिति अध्ययन .. १२. ठिई अज्झयणं १. स्थिति के भेद स्थिति दो प्रकार की कही गई है, यथा१. कायस्थिति, २. भवस्थिति। कायस्थति दो की कही गई है, यथा१. मनुष्यों की, २. पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की। भवस्थिति दो की कही गई है, यथा१. देवताओं की, २. नैरयिकों की। सूत्र १. ठिई भेया दुविहा ठिई पण्णत्ता,तं जहा१. कायट्ठिई चेव, २. भवट्ठिई चेव। दोहं कायट्ठिई पण्णत्ता,तं जहा१. मणुस्साणं चेव, २. पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चेव। दोण्हं भवट्ठिई पण्णत्ता,तं जहा१. देवाणं चेव, २. नेरइयाणं चेव। -ठाणं अ.२, सु.७९/१६-१८ २. तस-थावर विवक्खया जीवाणं ठिई प. तसकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तेत्तीसं सागरोवमाईं। प. अपज्जत्तय-तसकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तय-तसकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? २. त्रस-स्थावर की विवक्षा से जीवों की स्थिति प्र. भन्ते !त्रसकायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त त्रसकायिकों की स्थिति कितने काल की कही उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त त्रसकायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तेतीस सागरोपम की। प्र. भन्ते ! स्थावर की स्थिति कितने काल की गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट बावीस हजार वर्ष की कही गई है। उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं। उक्कोसेण तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहत्तूणाई। -जीवा. पडि.५, सु.२११ प. थावरस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं। उक्कोसेण बावीसं वास सहस्साई ठिई पण्णत्ता। ___-जीवा. पडि.५, सु.४३ ३. सुहुमबायरविवक्खया जीवाणं ठिई प. सुहुमस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। -जीवा. पडि. ५, सु.२१४ प. बायरस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? . उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तेत्तीसं सागरोवमाई। -जीवा. पडि. ५, सु.२१८ ४. इत्थी-पुरिस-णपुंसगविवक्खया जीवाणं ठिई प. इत्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! एगेणं आदेसेणं-जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पणपन्नं पलिओवमाई। ३. सूक्ष्म बादर की विवक्षा से जीवों की स्थिति प्र. भन्ते ! सूक्ष्म की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। प्र. भन्ते ! बादर की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम की कही गई है। ४. स्त्री-पुरुष-नपुंसक की विवक्षा से जीवों की स्थिति___प्र. भन्ते ! स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? • उ. गौतम ! एक आदेश (अपेक्षा) से जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट पचपन पल्योपम। १. इस अध्ययन में मात्र भवस्थिति का ही वर्णन है, कायस्थिति का वर्णन पृथक्-पृथक् अध्ययनों में किया है। २. जीवा. पडि.१ सु.४३
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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