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________________ २५४ २३. सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, २४. सुहमनिगोदा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, २५. बादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा, २६. बादर पज्जत्तगा विसेसाहिया, २७. बादर वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, २८. बादरा अपज्जत्तगा विसेसाहिया, २९. बादरा विसेसाहिया, ३०. सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ३१. सुहुमा अपज्जत्तगा विसेसाहिया, ३२. सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, ३३. सुहमपज्जत्तगा विसेसाहिया, ३४. सहुमा विसेसाहिया,' -पण्ण.प., सु. २३७-२५१ १४५. सकाइय-अकाइय जीवाणं वित्यरओ अप्पबहुत्तं- प. एएसिणं भंते ! सकाइया अकाइया य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहियावा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवा अकाइया, २. सकाइया अणंतगुणा। -जीवा पडि. ९, सु. २३२ प. एएसिणं भंते ! सकाइयाणं, पुढविकाइयाणं, आउकाइयाणं,तेउकाइयाणं, वाउकाइयाणं, वणस्सइकाइयाणं,तसकाइयाणं,अकाइयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवा तसकाइया, २. तेउकाइया असंखेज्जगुणा, ३. पुढविकाइया विसेसाहिया, ४. आउकाइया विसेसाहिया, ५. वाउकाइया विसेसाहिया, ६. अकाइया अणंतगुणा, ७. वणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा,२ ८. सकाइया विसेसाहिया,३ प. एएसिणं भंते ! सकाइयाणं, पुढविकाइयाणं, आउकाइयाणं, तेउकाइयाणं, वाउकाइयाणं, वणस्सइकाइयाणं,तसकाइयाण य अपज्जत्तगाण कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवा तसकाइया अपज्जत्तगा, २. तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ३. पुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, ४. आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, द्रव्यानुयोग-(१) २३. (उनसे) सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, २४. (उनसे) सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, २५. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, २६. (उनसे) बादर पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, २७. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यात गणे हैं, २८. (उनसे) बादर अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, २९. (उनसे) बादर विशेषाधिक हैं, ३०. (उनसे) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, ३१. (उनसे) सूक्ष्म अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ३२. (उनसे) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक संख्यात गुणे हैं, ३३. (उनसे) सूक्ष्म पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ३४. (उनसे) सूक्ष्म विशेषाधिक हैं। १४५. विस्तार से सकायिक अकायिक जीवों का अल्पबहुत्व प्र. भंते ! इन सकायिक और अकायिक जीवों में कौन किनसे ____ अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प अकायिक हैं, २. (उनसे) सकायिक अनन्त गुणे हैं। प्र. भंते ! इन सकायिक, पृथ्वीकायिक, अकायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, त्रसकायिक और अकायिक जीवों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प त्रसकायिक हैं, २. (उनसे) तेजस्कायिक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, ४. (उनसे) अप्कायिक विशेषाधिक हैं, ५. (उनसे) वायुकायिक विशेषाधिक हैं, ६. (उनसे) अकायिक अनन्तगुणे हैं, ७. (उनसे) वनस्पतिकायिक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) सकायिक विशेषाधिक हैं। प्र. भंते ! इन सकायिक, पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक और त्रसकायिक अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प त्रसकायिक अपर्याप्तक हैं, २. (उनसे) तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४. (उनसे) अकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक है, १. जीवा. पडि.५, सु.२२१ (आ) २. (क) विया.स.२६,उ.३,सु.११९ (ख) जीवा. पडि.९, सु.२५२ समान है वनस्पतिकाय अनन्तगुणा है, ३. जीवा. पडि.५,सु. २१३.
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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