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________________ ( २५० १४. बादरा विसेसाहिया, १५. सुहुमवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, १६. सुहमा विसेसाहिया। प. एएसि णं भंते ! सुहुमअपज्जत्तगाणं, सुहुमपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं, सुहुमआउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं, सुहुमतेउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं, सुहुमवाउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं, सुहुमवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं, सुहमणिगोदाऽपज्जत्तगाणं, बादरापज्जत्तगाणं, बादरपुढविकाइयापज्जत्तगाणं बादरआउकाइया-पज्जत्तगाणं, बादरतेउकाइयापज्जत्तगाणं, बादरवाउकाइयापज्जत्तगाणं, बादरवणस्सइकाइयपज्जत्तगाणं, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया-पज्जत्तगाणं, बादरणिगोदापज्जत्तगाणं, बादरतसकाइयापज्जत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१.सब्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा, २. बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, द्रव्यानुयोग-(१) १४. (उनसे) बादर विशेषाधिक हैं, १५. (उनसे) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक असंख्यातगुणे हैं, १६. (उनसे) सूक्ष्म विशेषाधिक हैं। प्र. भंते ! इन सूक्ष्म अपर्याप्तकों, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्तकों, सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तकों, सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तकों, सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तकों, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तकों, सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तकों, बादर अपर्याप्तकों, बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तकों, बादर अप्कायिक अपर्याप्तकों, बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तकों, बादर वायुकायिक अपर्याप्तकों, बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तकों, प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तकों, बादर निगोद अपर्याप्तकों एवं बादर त्रसकायिक अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं। ३. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा ___ असंखेज्जगुणा, ४. बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५. बादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ६. बादरआउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ७. बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ८. सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, उ, गौतम ! १. सबसे अल्प बादर त्रसकायिक अपर्याप्तक हैं, २. (उनसे) बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, ३. (उनसे) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक ____ अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, ६. (उनसे) बादर अकायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, ७. (उनसे) बादर वायुकायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, ८. (उनसे) सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, ९. (उनसे) सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १०. (उनसे) सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ११. (उनसे) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १२. (उनसे) सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, १३. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक ___ अनन्तगुणे हैं, १४. (उनसे) बादर अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १५. (उनसे) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यात गुणे हैं, १६. (उनसे) सूक्ष्म अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं। प्र. भंते ! इन सूक्ष्म पर्याप्तकों, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक पर्याप्तकों, सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्तकों, ९. सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, १०. सुहुमआउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, ११. सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, १२. सुहमनिगोदाअपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, १३. बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, १४. बादर अपज्जत्तगा विसेसाहिया, १५. सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, १६. सुहमा अपज्जत्तगा विसेसाहिया। प. एएसिणं भंते ! सुहमपज्जत्तगाणं, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगाणं,सुहुमआउकाइया पज्जत्तगाणं,
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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