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________________ २४६ १४. सुहुमा पज्जत्तगा विसेसाहिया, १५. सुहुमा विसेसाहिया । प. एएसि णं भंते! बादराणं, बादरपुढविकाइयाणं, बादर आउकाइयाणं, बादरतेउकाइयाणं, बादरवाउकाइयाणं, बादरवणस्सइकाइयाणं, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाणं, बादरनिगोदाणं, बादर तसकाइयाण य कवरे कपरेहिंतो अप्पा वा जाब विसेसाहिया था ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा बादरा तसकाइया, २. बादरा तेउकाइया असंखेज्जगुणा, ३. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, ४. बादरा निगोदा असंखेज्जगुणा, ५. बादरा पुढविकाइया असंखेज्जगुणा, ६. बादरा आउकाइया असंखेज्जगुणा, ७. बादरा वाउकाइया असंखेज्जगुणा, ८. बादरा वणस्सइकाइया अनंतगुणा, ९. बादरा विसेसाहिया । प. एएसि णं भंते ! बादर अपज्जत्तगाणं, बादर पुढविकाइय अपण्णत्तगाणं, बादर आउकाइय अपज्जत्तगाणं, बादरतेउकाइय अपज्जत्तगाणं, बादरवाउकाइय अपज्जत्तगाणं, बादरवणस्सइकाइय अपजत्तगाणं, पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइय अपज्जत्तगाणं, बादरनिगोदा अपजत्तगाणं, बादरतसकाइय' अपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा, २. बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ३. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, ४. बादर निगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५. बादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, अपज्जत्तगा ६. बादर आउकाइया अपजत्तगा असंखेज्जगुणा, ७. बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ८. बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, ९. बादर अपज्जत्तगा विसेसाहिया । १. जीवा. पडि. ९, सु. २१७ द्रव्यानुयोग - (१) १४. ( उनसे) सूक्ष्म पर्याप्तक विशेषाधिक है, १५. ( उनसे) सूक्ष्म जीव विशेषाधिक है। प्र. भंते ! इन बादर जीवों, बादर पृथ्वीकायिकों, बादर अप्कायिकों, बादर तेजस्कायिकों, बादर वायुकायिकों, बादर वनस्पतिकायिकों, प्रत्येक शरीरबादर - वनस्पतिकायिकों, बादर निगोदों और बादर सकायिकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है? उ. गौतम ! 9. सबसे अल्प बादर त्रसकायिक हैं, २. ( उनसे) बादर तेजस्कायिक असंख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकाधिक असंख्यातगुणे हैं, ४. ( उनसे) बादर निगोद असंख्यातगुणे हैं, ५. ( उनसे) बादर पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणे हैं, ६. ( उनसे) बादर अप्कायिक असंख्यातगुणे हैं, ७. ( उनसे) बादर वायुकायिक असंख्यातगुणे हैं, ८. ( उनसे) बादर वनस्पतिकायिक अनन्तगुणे हैं, ९. ( उनसे ) बादर विशेषाधिक हैं। प्र. भंते! इन बादर अपर्याप्तकों, बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तकों, बादर अप्कायिक अपर्याप्तकों, बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तकों, बादर बायुकायिक अपर्याप्तकों, बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तको प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तकों, बादर निगोद एवं बादर कायिक अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है? , उ. गौतम ! 9 सबसे अल्प बादर त्रसकायिक अपर्याप्तक हैं, २. ( उनसे) बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे ) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ४. ( उनसे) बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५. ( उनसे) बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६. ( उनसे) बादर अकायिक अपर्याप्तक असंख्यात है, ७. ( उनसे) बादर यायुकायिक अपर्यातक असंख्यात गुणे हैं, ८. ( उनसे) बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, ९. ( उनसे) बादर अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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