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________________ जीव अध्ययन ३. तेइंदियतिरिक्खजोणिया, ४. चउरिंदियतिरिक्खजोणिया, ५. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया य । (१) प. से किं तं एगिंदियतिरिक्खजोणिया ? उ. एगिंदियतिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा१ पुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणिया जाव ५ वणस्स इकाइयएगिंदिय तिरिक्खजोणिया । प से किं तं पुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणिया ? उ. पुढविकाइय एगिंदिय तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा १. सुहुभपुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणिया, २. बादरपुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणिया य । प. से किं तं सुहुमपुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणिया ? उ. सुहुमपुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणियादुविहा पण्णत्ता, तं जहा १. पज्जत्तसुहुमपुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणिया, २. अपज्जत्त - सुहुम पुढविकाइय- एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया । सेतं सुहुमा । प. से किं तं बादरपुढविकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया ? उ. बादर - पुढविकाइय- एगिंदिय-तिरिक्खजोणियादुविहा पण्णत्ता, तं जहा १. पज्जत्त - बादर - पुढविकाइय- एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया, २. अपज्जत्त - बादर- पुढविकाइय- एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया । सेतं बादरपुढविकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया । सेतं पुढविकाइय- एगिंदिया । प. से किं तं आउक्काइय- एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया ? उ. आउक्काइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - एवं जहेब पुढविकाइयाणं तहेव चउक्कओ भेओ जाव वणस्सइकाइया । सेतं वणस्स इकाइय- एगिंदिय-तिरिक्खजोणिया । प. (२) से किं तं बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया ? उ. बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा१. पज्जत्तग- बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया, २. अपज्जत्तग- बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया । सेतं बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया । एवं तेइन्दिया चउरिंदिया वि। - जीवा. पडि. ३, सु. ९६ (१) ३. त्रीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, ४. चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, ५. पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । १५३ (१) प्र. एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ? उ. एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक पांच प्रकार के कहे गए हैं, यथा१ पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक यावत् २ वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । प्र. पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ? उ. पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । २. बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । प्र. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ? उ. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । २. इस प्रकार सूक्ष्म का वर्णन पूरा हुआ। प्र. बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ? उ. बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, २. अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । यह बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक का वर्णन हुआ । इस प्रकार पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय का वर्णन पूर्ण हुआ। प्र. अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ? उ. अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं। यथा - जिस प्रकार पृथ्वीकायिकों के भेद कहे, उसी प्रकार वनस्पतिकायिक पर्यन्त (सूक्ष्म बादर पर्याप्त और अपर्याप्त) चार-चार भेद कहने चाहिए। यह वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक का वर्णन हुआ। प्र. (२) द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ? उ. द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. पर्याप्तक द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, २. अपर्याप्तक द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक । यह द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक का वर्णन हुआ। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय का वर्णन भी जानना चाहिए।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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