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द्रव्यानुयोग-(१)
(२) गुच्छाप. से किं तं गुच्छा? उ. गुच्छा अणेगविहा पण्णत्ता,तं जहा
वाइंगण सल्लइ बोंडई य,तह कच्छुरीय जासुमणा। रूवि आढइ नीली, तुलसी तह माउलिंगी य॥ कत्थुभरि पिप्पलिया, अयसी बिल्ली य कायमाई य। चुच्चु पडोला कंदलि, वाउच्चा वत्थुले बदरे॥ पत्तउर सीयउरए हवइ,तहा जवसए य बोधव्वे। णिग्गुंडि अक्क तूवरि, आट्टई चेव तलऊडा॥ सण वाण कास मद्दग, अगघाडग साम सिंदुवारे य। करमद्द अद्दरूसग, करीर एरावण महित्थे॥ जाउलग माल परिली, गयमारिणि कुच्च कारिया भंडी। जावइ केयइ तह गंज पाडला दासि,अंकोल्ले ॥१९-२३॥ जे यावऽण्णे तहप्पगारा,
सेतं गुच्छा। (३) गुम्माप. से किं तं गुम्मा ? उ. गुम्मा अणेगविहा पण्णत्ता,तं जहा
सेरियए णोमालिय, कोरंटय बंधुजीवग मणोज्जे। पीईय पाण कणइर, कुज्जय तह सिंदुवारे य॥ जाई मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती। वत्थुल कच्छुल सेवाल गंठि मगदंतिया चेव॥ चंपग जाती वणणीइया यकुंदो तहा महाजाई। एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयव्वा ॥२४-२६॥ जे यावऽण्णे तहप्पगारा,
से तं गुम्मा। (४) लयाप. से किं तं लयाओ? . उ. ल्याओ अणेगविहाओ' पण्णत्ताओ,तं जहा
पउमलता नागलता असोग-चंपयलता य चूयलता। वणलय वासंतिलता अइमुत्तय-कुंद-सामलता॥२७॥ जे यावऽण्णे तहप्पगारा,
सेतं लयाओ। (५) वल्लीप. से किं तं वल्लीओ? उ. वल्लीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ,तं जहा
पूसफली कालिंगी, तुंबी तउसीय एलवालुंकी। घोसाडई पडोला,पंचंगुलिया यणालीया।
(२) गुच्छप्र. गुच्छ कितने प्रकार के हैं ? उ. गुच्छ अनेक प्रकार के कहे गए हैं, यथा
बेंगन, शल्यकी, बोंडी (अथवा थुण्डकी) तथा कच्छुरी, जासुमना, रूपी, आढकी, नीली, तुलसी तथा मातुलिंगी। कस्तुम्भरी, पिप्पलिका, अलसी, बिल्वी, कायमादिका, चुच्चू, पटोला, कन्दली, बाउच्चा, बस्तुल तथा बादर। पत्रपूर, शीतपूरक तथा जवसक एवं निर्गुण्डी, अर्क, तूवरी, अट्टकी और तलपुटा भी समझना चाहिए। सण, वाण, काश, मद्रक, आघ्रातक, श्याम, सिन्दुवार और करोंदा, आर्द्रडूसक, करीर, ऐरावण तथा महित्य। जातुलक, मोल, परिली, गजमारिणी, कुज्जकारिका, भंडी, जावकी, केतकी तथा गंज, पाटला, दासी और अंकोल्ल। अन्य जो भी इसी प्रकार के हैं, (वे सब गुच्छ समझने चाहिए।)
यह गुच्छ का वर्णन हुआ। (३) गुल्मप्र. गुल्म कितने प्रकार के हैं ? उ. गुल्म अनेक प्रकार के कहे गए हैं, यथा
सेरितक, नवमालती, कोरण्टक, बन्धुजीवक, मनोद्य, पीतिक, पान, कनेर, कुर्जक तथा सिन्दुवार। जाइ, मोगरा, जूही तथा मल्लिका और वासन्ती, वस्तुल, कच्छुल, शैवाल, ग्रन्थि एवं मृगदन्तिका। चम्पक, जाई, नवनीतिका, कुन्द तथा मजाजाति; इस प्रकार अनेक आकार-प्रकार के होते हैं, (उन सबको) गुल्म समझना चाहिए।
यह गुल्मों की प्ररूपणा हुई। (४) लताप्र. लताएं कितने प्रकार की हैं ? उ. लताएं अनेक प्रकार की कही गई है, यथा
पद्मलता, नागलता, अशोकलता, चम्पकलता चूतलता (आम्रलता) बनलता, वासन्तीलता, अतिमुक्तकलता, कुन्दलता और श्यामलता।
और जितनी भी इस प्रकार की हैं, (उन्हें लता समझना चाहिए।)
यह लताओं का वर्णन हुआ। (५) वल्लीप्र. वल्लियां कितने प्रकार की हैं ? उ. वल्लियां अनेक प्रकार की कही गई हैं, यथा
पूसफली, कालिंगी, तुम्बी, त्रपुषी, एलवालुकी, घोषातकी, पटोला, पंचांगुलिका और नालीका।
१. प. कइ णं भंते ! लयाओ, कइ लया सया पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! अट्ठ लयाओ. अटू लया सया पण्णत्ता।
-जीवा. पडि. ३, सु. ९८
२. जीवा. पडि. ३, सु ९८
प. कइ णं भंते ! वल्लीओ, कइ वल्लीसया पण्णत्ता। उ. गोयमा ! चत्तारि वल्लीओ, चत्तारि वल्लीसया पण्णत्ता।
-जीवा. पडि, ३, सु. ९८