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________________ जीव अध्ययन - १२९) उ. मनुष्य पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कर्मभूमज, २. अकर्मभूमज, ३. अन्तरद्वीपज । उ. मणुस्सपुरिसा तिविहा पण्णत्ता,तंजहा१.कम्मभूमगा,२.अकम्मभूमगा, ३. अंतरदीवगा। -जीवा. पडि.२, सु.५२ (३) देवपुरिसाप. से किं तं देवपुरिसा? उ. देवपुरिसा चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहाइत्थीभेओ, भाणियव्वो जाव सव्वट्ठसिद्धा। -जीवा. पडि.२, सु.५२ ३७. णपुंसगाण भेयप्पमेया प. से किं तं नपुंसगा? उ. नपुंसगा तिविहापण्णत्ता,तं जहा १. नेरइयनपुंसगा, २. तिरिक्खजोणियनपुंसगा, ३. मणुस्सजोणियनपुंसगा।३ -जीवा. पडि.२, सु.५८ (१) नेरइयनपुंसगाप. से किं तं नेरइयनपुंसगा? उ. नेरइयनपुंसगा सत्तविहा पण्णत्ता,तं जहा १ रयणप्पभापुढविनेरइयनपुंसगा जाव ___७ अहेसत्तमपुढविनेरइयनपुंसगा। -जीवा. पडि. २. सु. ५८ (२) तिरिक्खजोणियनपुंसगाप. से किं तं तिरिक्खजोणियनपुंसगा? उ. तिरिक्खजोणियनपुंसगा पंचविहापण्णत्ता,तं जहा १ एगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा जाव ५ पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियनपुंसगा। प. से किं तं एगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा? उ. एगिदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा १ पुढविकाइया जाव ५ वणस्सइकाइया। प. से किं तं बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा? उ. बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा अणेगविहा पण्णत्ता, एवं तेइंदिया वि, चउरिदिया वि। प. से किं तं पंचेंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा? उ. पंचेंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा १.जलयरा, २.थलयरा, ३.खहयरा। प. से किं तंजलयरा? उ. सोचेव पुवुत्त भेओ आसालियवज्जिओ भाणियव्यो। -जीवा. पडि.२, सु.५८ (३) मणुस्सनपुंसगाप. से किं तं मणुस्सनपुंसगा? (३) देव पुरुष प्र. देव पुरुष कितने प्रकार के हैं ? उ. देव पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथास्त्रियों के समान देव पुरुषों के भेद सर्वार्थसिद्ध पर्यंत कहने चाहिए। ३७. नपुंसकों के भेद-प्रभेद प्र. नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? उ. नपुंसक तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. नैरयिक नपुंसक, २. तिर्यंचयोनिक नपुंसक, ३. मनुष्ययोनिक नपुंसक। (१) नैरयिक नपुंसकप्र. नैरयिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं? उ. नैरयिक नपुंसक सात प्रकार के कहे गए हैं, यथा १ रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक यावत् ७ अधः सप्तम पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक। (२) तिर्यञ्चयोनिक नपुंसकप्र. तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? उ. तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक पांच प्रकार के कहे गए हैं, यथा १ एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक यावत् ५ पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक। प्र. एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? उ. एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक पांच प्रकार के कहे गए हैं। यथा १ पृथ्वीकायिक यावत् ५ वनस्पतिकायिक। प्र. बेइंदिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के है ? उ. बेइंदिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक अनेक प्रकार के कहे गए हैं। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिंद्रिय भी जानना चाहिए। . प्र. पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? उ. पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १.जलचर, २. थलचर, ३. खेचर। प्र. जलचर नपुंसक कितने प्रकार के हैं? उ. आशालिक को छोड़कर वही पूर्वोक्त भेद कहने चाहिए। (३) मनुष्य नपुंसकप्र. मनुष्य नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? १. ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३९/२ २. देवस्त्री के भेद दूसरे देवलोक तक ही कहे गये हैं अतः तीसरे देवलोक से सर्वार्थसिद्ध तक की भलावण सम्बन्धी देवों के भेद अन्यत्र देखें। ३. ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३९/३ ४. ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३९/३
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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