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________________ ११८ १. चक्षुदर्शनी, ३. अवधिदर्शनी, द्रव्यानुयोग-(१) २. अचक्षुदर्शनी, ४. केवलदर्शनी। अथवा सभी जीव चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. संयत, २. असंयत, ३. संयतासंयत ४. नो संयत, नो असंयत, नो संयतासंयत। (४) पांच प्रकार उनमें से जो सर्व जीवों को पांच प्रकार का कहते हैं वे इस प्रकार कहते हैं, यथा१. क्रोधकषायी, २. मानकषायी, ३. माया कषायी, ४. लोभकषायी, ५. अकषायी। १. चक्खुदंसणी, २. अचक्खुदंसणी, ३. अवधिदसणी, ४. केवलदसणी। -जीवा पडि.९, सु. २४६ अहवा चउव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा१. संजया, २. असंजया, ३. संजयासंजया, ४. नो संजया नो असंजया नो संजयासंजया। - -जीवा. पडि.९, सु. २४७ (४) पंचविहत्तं तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-"पंचविहा सव्वजीवा पण्णत्ता", ते एवमाहंसु,तं जहा१. कोहकसायी, २. माणकसायी, ३. माया कसायी, ४. लोभकसायी, ५. अकसायी। -जीवा. पडि.९, सु. २४८ अहवा पंचविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. नेरइया, २. तिरिक्खजोणिया, ३. मणुस्सा, ४. देवा ५. सिद्धा। -जीवा. पडि. ९, सु. २४९ (५) छव्विहत्तं तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-“छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता" ते एवमाहंसु,तं जहा१. आभिणिबोहियणाणी, २. सुयनाणी, ३. ओहिणाणी, ४. मणपज्जवणाणी, ५. केवलणाणी, ६. अण्णाणी। -जीवा. पडि.९, सु.२५० अहवा छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. एगिंदिया, २. बेइंदिया, ३. तेइंदिया, ४. चउरिंदिया, ५. पंचेंदिया, ६. अणिंदिया। -जीवा. पडि.९, सु.२५० अहवा छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. ओरालियसरीरी, २. वेउव्वियसरीरी, ३. आहारगसरीरी, ४. तेयगसरीरी, ५. कम्मगसरीरी, ६. असरीरी।३ जीवा. पडि.९, सु. २५१ अथवा सभी जीव पांच प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. नैरयिक, २. तिर्यंचयोनिक, ३. मनुष्य, ४. देव, ५. सिद्ध। (५) छःप्रकार उनमें से जो सर्व जीवों को छः प्रकार का कहते हैं वे इस प्रकार कहते हैं, यथा१. आभिनिबोधिक ज्ञानी, २. श्रुतज्ञानी, ३. अवधिज्ञानी, ४. मनःपर्यवज्ञानी, ५. केवलज्ञानी, ६. अज्ञानी। अथवा सभी जीव छः प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. एकेन्द्रिय, २. द्वीन्द्रिय, ३. त्रीन्द्रिय, ४. चतुरिन्द्रिय, ५. पंचेन्द्रिय, ६. अनिन्द्रिय। अथवा-सभी जीव छः प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. औदारिकशरीरी, २. वैक्रियशरीरी, ३. आहारकशरीरी, ४. तेजसशरीरी, ५. कार्मणशरीरी, ६. अशरीरी। .. ३. ठाणं.अ.६.सु.४८३ १. २. ठाणं अ.४, उ.४,सु.३६५ ठाणं अ.५,उ.३,सु.४५८
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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