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________________ ( ३४ उ. गोयमा! सिय दव्वं, सिय दव्वदेसे, नो दव्वाई, नो दव्वदेसा, नो दव्वं च दव्वदेसे य जाव नो दव्वाइं च दव्वदेसा य। प. दो भंते! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं, दव्वदेसे जाव उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य? उ. गोयमा! १. सिय दव्वं, २. सिय दव्वदेसे, ३. सिय दव्वाई, ४. सिय दव्वदेसा, ५. सिय दव्वं च दव्वदेसे य, ६. नो दव्वं च दव्वदेसा य, सेसा पडिसेहेयव्वा। प. तिन्नि भंते! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं, दव्वदेसे जाव उदाहु दव्वाई च दव्वदेसा य? उ. गोयमा! सिय दव्वं, सिय दव्वदेसे, एवं सत्त भंगा भाणियव्या जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसे य, नो दव्वाई च दव्वदेसा य। प. चत्तारि भंते! पोग्गलत्थिकाय पएसा किं दव्वं, दव्वदेसे जाव उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य? उ. गोयमा! सिय दव्वं, सिय दव्वदेसे, द्रव्यानुयोग-(१) उ. गौतम ! परमाणु कथंचित् द्रव्य है कथंचित् द्रव्यदेश है किन्तु (अनेक) द्रव्य नहीं है (अनेक) द्रव्यदेश नहीं है। (एक) द्रव्य और (एक) द्रव्यदेश नहीं है-यावत् (अनेक) द्रव्य और (अनेक) द्रव्यदेश नहीं है। प्र. भंते ! पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश क्या (एक) द्रव्य है या (एक) द्रव्यदेश है यावत् अथवा (अनेक) द्रव्य और अनेक द्रव्यदेश है? उ. गौतम ! १. कथंचित् (एक) द्रव्य है, २. कथंचित् (एक) द्रव्यदेश है, ३. कथंचित् (अनेक) द्रव्य हैं, ४. कथंचित् (अनेक) द्रव्यदेश हैं, ५. कथंचित् (एक) द्रव्य और (एक) द्रव्यदेश हैं किन्तु ६. (एक) द्रव्य और (अनेक) द्रव्यदेश नहीं है। शेष विकल्पों का निषेध करना चाहिए। प्र. भंते ! पुद्गलास्तिकाय के तीन प्रदेश क्या (एक) द्रव्य है या (एक) द्रव्यदेश है यावत् अथवा (अनेक) द्रव्य और (अनेक) द्रव्यदेश हैं? उ. गौतम ! १. कथंचित् (एक) द्रव्य है, २. कथंचित् (एक) द्रव्य देश है। इस प्रकार सात भांगे कहने चाहिए-यावत् कथंचित् (अनेक) द्रव्य और (एक) द्रव्यदेश है, किन्तु ८ (अनेक) द्रव्य और (अनेक) द्रव्यदेश नहीं हैं। प्र. भंते ! पुद्गलास्तिकाय के चार प्रदेश क्या (एक) द्रव्य है-या (एक) द्रव्यदेश हैं यावत् अथवा (अनेक) द्रव्य ___और (अनेक) द्रव्यदेश हैं ? उ. गौतम ! १. कथंचित् ? (एक) द्रव्य है, २. कथंचित् (एक) द्रव्य देश है। इस प्रकार आठों भांग कहने चाहिए यावत् (अनेक) द्रव्य और (अनेक) द्रव्यदेश हैं। जिस प्रकार चार प्रदेशों के लिए कहा, उसी प्रकार पांच, छह, सात यावत् असंख्यात प्रदेशों के लिए भी कहना चाहिए। प्र. भंते ! पुद्गलास्तिकाय के अनन्त प्रदेश क्या (एक) द्रव्य हैं-या (एक) द्रव्यदेश हैं यावत् अथवा (अनेक) द्रव्य और अनेक द्रव्यदेश हैं? उ. गौतम ! पहले के समान यावत् ८ कथंचित् (अनेक) द्रव्य और (अनेक) द्रव्यदेश हैं पर्यन्त कहना चाहिए। १३. कितने अस्तिकायों से लोक स्पृष्ट है चार अस्तिकायों से पूरा लोक स्पृष्ट कहा गया है, यथा१. धर्मास्तिकाय से, २. अधर्मास्तिकाय से ३. जीवास्तिकाय से, ४. पुद्गलास्तिकाय से। अट्ठवि भंगा भाणियव्वा जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य, जहा चत्तारि भणिया, एवं पंच छ सत्त जाव असंखेज्जा। प. अणंता भंते! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं, दव्वदेसे जाव उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य? उ. गोयमा! एवं चेव जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य। -विया. स. ८, उ. १०, सु. २३-२८ १३. किण्हं अत्थिकाएहिं लोगे फुडे चउहिं अस्थिकाएहिं लोगे फुडे पण्णत्ते, तं जहा१. धम्मऽस्थिकाएणं, २. अधम्मऽत्थिकाएणं, ३. जीवऽस्थिकाएणं, ४. पोग्गलऽस्थिकाएणं। . -ठाणं. अ.४,उ.३,सु.३३३/१
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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