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________________ द्रव्यानुयोग-(१) इनमें से प्रत्येक को अविशेषित मानने पर-उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो प्रकार के विशेषित नाम होंगे। वैमानिक देव को अविशेषित मानने पर१. कल्पोपपन्न, २. कल्पातीत ये दो विशेषित नाम होंगे। कल्पोपपन्न को अविशेषित मानने पर१.सौधर्म,२. ईशान, ३. सनत्कुमार, ४. माहेन्द्र, ५. ब्रह्मलोक, ६. लांतक,७. महाशक,८.सहस्रार,९. आनत, १०. प्राणत, ११. आरण, १२. अच्युत ये बारह विशेषित नाम होंगे। ( १० । एएसिं पि अविसेसिय-विसेसिय - पज्जत्तय - अपज्जत्तय भेया भाणियव्वा। अविसेसिए-वेमाणिए, विसेसिए-१.कप्पोवगे य २. कप्पातीतए य। अविसेसिए-कप्पोवगए, विसेसिए-१. सोहम्मए, २. ईसाणए, ३. सणंकुमारए, ४. माहिंदए, ५. बंभलोगए, ६. लंतयए, ७. महासुक्कए, ८. सहस्सारए, ९. आणयए १०. पाणयए ११. आरणए १२.अच्चुयए। एएसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय -अपज्जत्तय भेया भाणियव्वा। अविसेसिए-कप्पातीतए, विसेसिए-१.गेवेज्जए य,२.अणुत्तरोववाइए य। अविसेसिए-गेवेज्जए, विसेसिए-१. हेट्ठिमगेवेज्जए २. मज्झिमगेवेज्जए, ३.उवरिमगेवेज्जए। अविसेसिए-हेट्ठिमगेवेज्जए, विसेसिए-१.हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जए २.हेट्ठिममज्झिम गेवेज्जए, ३.हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जए। अविसेसिए-मज्झिमगेवेज्जए, विसेसिए-१.मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जए, २.मज्झिममज्झिमगेवेज्जए,३.मज्झिमउवरिमगेवेज्जए। अविसेसिए-उवरिमगेवेज्जए, विसेसिए-१. उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जए, २. उवरिममज्झिमगेवेज्जए,३.उवरिमउवरिमगेवेज्जए। एएसि पि सव्येसिं अविसेसिय विसेसिय - पज्जत्तय - अपज्जत्तय-भेया भाणियव्या। अविसेसिए-अणुत्तरोववाइए, विसेसिए-१. विजयए, २. वेजयंतए, ३. जयंतए, ४.अपराजियए,५. सव्वट्ठसिद्धए। एएस पि सव्वेसिं अविसेसिय - विसेसिय - पज्जत्तय - अपज्जत्तय-भेया भाणियव्वा। अविसेसिए-अजीवदव्वे, विसेसिए-१. धम्मत्थिकाए, २. अधम्मत्थिकाए, ३.आगासत्थिकाए, ४.पोग्गलत्थिकाए, ५. अद्धासमए य। अविसेसिए-पोग्गलत्थिकाए, विसेसिए-१. परमाणु पोग्गले दुपएसिए खंधे जाव अणंतपएसिए खंधे से तंदुनामे। -अणु. सु. २१६-(१-१९) ५. गुणपज्जव दव्वलक्खणं गुणाणमासवो दव्वं, एगदव्वस्सिया गुणा। लक्खणं पज्जवाणं तु, उभओ अस्सिया भवे ॥ -उत्त.अ. २८, गा.६ इनमें से प्रत्येक को अविशेषित मानने पर- उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो प्रकार के विशेषित नाम होंगे। कल्पातीत को अविशेषित मानने पर१. ग्रैवेयक, २. अनुत्तरोपपातिक देव ये दो विशेषित नाम होंगे। ग्रैवयक देव को अविशेषित मानने पर१.अधस्तनौवेयक, २. मध्यमग्रैवेयक, ३. उपरिमग्रैवेयक ये तीन विशेषित नाम होंगे। अधस्तनौवेयक को अविशेषित मानने पर१. अधस्तन अधस्तन ग्रैवेयक, २. अधस्तन-मध्यम ग्रैवेयक, ३. अधस्तन-उपरिम ग्रैवेयक ये तीन विशेषित नाम होंगे। मध्यमग्रैवेयक को अविशेषित मानने पर१. मध्यम-अधस्तन ग्रैवेयक, २. मध्यम-मध्यम ग्रैवेयक, ३. मध्यम-उपरिम ग्रैवेयक ये तीन विशेषित नाम होंगे। उपरिम ग्रैवेयक को अविशेषित मानने पर१. उपरिम-अधस्तन ग्रैवेयक, २. उपरिम-मध्यम ग्रैवेयक, ३. उपरिम-उपरिम ग्रैवेयक ये तीन विशेषित नाम होंगे। 'इनमें से प्रत्येक को अविशेषित मानने पर उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो प्रकार के विशेषित नाम होंगे। अनुत्तरोपपातिक देव को अविशेषित मानने पर१.विजय, २.वैजयन्त, ३.जयन्त,४.अपराजित, ५.सर्वार्थसिद्ध ये पाँच विशेषित नाम होंगे। इनमें से प्रत्येक को अविशेषित मानने पर-', उनमें पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो प्रकार के विशेषित नाम होंगे। अजीवद्रव्य को अविशेषित मानने पर१. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. पुद्गलास्तिकाय, ५. अद्धासमय, ये पाँच विशेषित नाम होंगे। पुद्गलास्तिकाय को अविशेषित मानने पर१. परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशिक स्कन्ध से अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध पर्यन्त ये विशेषित नाम होंगे। यह दुनाम का स्वरूप हुआ। ५. द्रव्य-गुण-पर्याय के लक्षण जो गुणों का आश्रय है उसे द्रव्य कहते हैं, जो केवल द्रव्य के आश्रित रहते हैं, वे गुण कहलाते हैं और जो दोनों अर्थात् द्रव्य और गुणों के आश्रित हों उन्हे पर्याय कहते हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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