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- धर्मरत्नाकर:
विषय
श्लोकाऊक
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पडगाहन उच्चैःस्थान पादोदक पूजा प्रणाम मनःशुद्धि वचनशुद्धि कायशुद्धि एषणाशुद्धि दाता के सात गुण आहारशुद्धि पात्र और उसके भेद दान से अहिंसा मुनि को आहारादि देना दान के तीन हेतु धनलोभ से सुन्दर कार्य नहीं दान के चार प्रकार और फल आस्तिक्य श्रद्धा
११*१, १८*१
१३
१३*१, १४, १३*२
१६२१-१८
२०
२११
भक्ति विज्ञान अलुब्धता
क्षमा
दानशक्ति के तीन प्रकार सत्त्वगुण मुनियों के लिये अयोग्य आहार मुनिजनों की सेवा करना कपट आदि का त्याग करना भोजन के लिये अयोग्य स्थान दाता की प्रशंसा सम्यग्दर्शन की मलिनता सत्पात्र का स्वरूप पुण्य का फल दीक्षाग्रहणादि के योग्य वर्ण इत्यादि धर्म के कारण
२७-२७* ३, ४१ २७२४ २८ २९-२९०१,३३४८ ३० - ३१ ३२-३२*२ ३२*३-३३६६ ३३*७ ३३*९ ३३*१० - ३५