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-११. ५८५१] - आद्यप्रतिमाप्रपञ्चनम् -
२३३ 906) यद्वद गरुडः पक्षी पक्षी न तु सर्व एव गरुडो ऽस्ति । ...)
रामैव चास्ति माता माता न तु साविका रामा ॥५६ 907) किचिद्विजाण्डजेजलेचरंसौरभेयी व्याघातजातवृजिनं हि विशेषमेति ।
____ तद्वत्पलाशनभवं खलु जीवयोग-साम्ये ऽपि वर्धत इदं विषशक्तिवद्वा ॥ 908 ) प्रायश्चित्तादिशास्त्रेषु विशेषा गणनातिगाः।
__भक्ष्याभक्ष्यादिषु प्रोक्ताः कृत्याकृत्येषु मुच्यताम् ॥ ५८ 909 ) स्त्रीत्वपेयत्वसामान्याहारवारिवंदीहताम् ।
एष वादे वदन्नेवं मद्यमातृ समागमे ॥ ५८*१
दूसरा उदाहरण-जैसे गरुड नियम से पक्षी ही होता है, परन्तु सब पक्षी कुछ गरुड ही नहीं होते। उनमें कुछ गरुड भी होते हैं और कुछ कौवा, कबुतर आदि इतर भी होते हैं। इसी प्रकार माता स्त्री ही होती है, परन्तु सब स्त्रिया माता ही हों, ऐसा नियम नहीं है । उनमें कुछ माता भी हो सकती हैं और कुछ बांझ और कुमारिकाएँ भी हो सकती हैं। (अभिप्राय यह है कि जिस प्रकार माँस जीव का शरीर ही होता है उस प्रकार मूंग, उडद व गेहूँ आदि धान्य जीव का शरीर हो कर माँसरूप नहीं होता । अतएव उसके भक्षण में कोई दोष नहीं समझना चाहिये) ॥५६ ॥
दूसरे, ब्राह्मण, पक्षी, मत्स्यादि जलचर और गाय इन प्राणियों के घात से उत्पन्न हुआ पाप भी विशेषता को-हीनाधिकता को-प्राप्त होता है । ठीक इसी प्रकार से जीवसम्बन्ध की समानता के होने पर भी मंग आदि की अपेक्षा मांस भक्षण से होनेवाला पाप अधिक वद्धि को प्राप्त होता है । अथवा,विषरूप से समान होने पर भी जैसे मधुमक्खी, बिच्छु और सर्प आदि के विष में सन्तापवर्धक शक्ति हीनाधिक होती है उसी प्रकार प्रकृत में भी समझना चाहिये ॥५७ ॥ . .
प्रायश्चित्तादि शास्त्रों में जो भक्ष्याभक्ष्यादि-विषयक तथा कृत्य और अकृत्य विषयक असंख्यात विशेष ( भेद ) कहे गये हैं। उन में अकृत्यों व अभक्ष्यों का त्याग करना चाहिये ॥ ५८ ॥
__ स्त्री और माता में स्त्रीत्व के तथा पानी और मद्य में पेयरूपता के समान होने पर भी लोक में स्त्रीमात्र के साथ समागम तथा पानीमात्र का पीना प्रशस्त माना जाता है। परन्तु उक्त प्रकार कहनेवाला यह वादी स्त्रीत्व की समानता से स्त्री के समान माता के साथ समागम को तथा पेयरूपता की समानता से पानी के समान मद्य के पीने को भी अभीष्ट मानता है, ऐसा समझना चाहिये ॥ ५८७१ ।।
५७) 1 D पक्षिणः. 2 D जीवा:. 3 गौ. 4 पापम, मांसं.5 मांसं पापं वा. 6 D विषशक्तिवद मारणशालि मांसं । ५८) 1 D मांसदोषा निवेदिताः । ५८*१)1 जलादि. 2 स्त्री-जलम, D स्त्री सर्वे समा'नापेयापि. 3 PD मातृमद्यसमागमे ।