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________________ -4.33 1 - औषधदानफलम् - 596) वचो न वन्ध्यं' वचनेश्वराणां परार्थ निर्वर्तितवाङ्मयानाम् । यथा तथा नैव वृथा यथाम्भो जीमूतमुक्तं धरणौ सदापि ॥ २९ 597) श्रीपद्मनाभंजनने गुरुभक्तिभाजा धर्मप्रतापयशसां सतताश्रयेण । चन्द्रप्रभेण गुणिनां गदखेदितानीं दिव्यौषधादिभिरुपास्तिरकारि नित्यम् ॥ 598) एतच्चोपलक्षणम् - १५५ वैयावृत्त्यं सर्वसर्वज्ञ देवैर्भक्त्याकारि प्राग्भवे संयतानाम् । व्याधित्रातैग्लनितानां यथावत् तत्संपन्नं तीर्थ कृद्गोत्र भूत्यै ॥ ३१ 599 ) एतत्कारुण्य सर्वस्वमेतद्वात्सल्यजीवितम् । आगमज्ञत्वमूलं च यदेतद्ग्लानपालनम् ॥ ३२ 600) पिष्टपेषणकल्पो ऽयमाक्षेपी' यदि वा कृतः । उत्तरं तु मया दत्तमिव चर्वितचर्वणम् ॥ ३३ जिन्होंने परोपकार के लिये आगम की रचना की है ऐसे जिनेन्द्र व गणधरादि का वचन इस प्रकार व्यर्थ नहीं है, जिस प्रकार कि पृथ्वी पर मेघों के द्वारा छोडा गया पानी व्यर्थ नहीं होता है ॥ २९ ॥ निरन्तर धर्म, प्रताप और कीर्ति के आश्रय तथा गुरुओं में भक्ति रखने वाले चन्द्रप्रभ जिनेन्द्र ने पद्मनाभ राजा भव में रोग से पीडित गुणीजनों को दिव्य औषधि आदि दे कर उनकी उपासना की थी ॥ ३० ॥ यह उपलक्षण है । इस से यह समझना चाहिये कि अन्य भी अनेक मुनिराजों ने संघ को औषधादिक दे कर उसकी उपासना की भी है, इसी को आगे स्पष्ट करते हैं - सब ही सर्वज्ञ तीर्थंकरोंने पूर्व भव में रोग समूह से अशक्त हुए संयतों की जो भक्ति से यथायोग्य वैयावृत्ति की थी, वह तीर्थंकर नामकर्मोदयजनित समवसरणादि विभूति का कारण हुई ॥ ३१ ॥ 1 रोगपीडित मुनि आदिकों का रक्षण करना - उन का रोग दूर करना, यह दया का सर्वस्व, धर्म वात्सल्य का प्राण और आगम ज्ञान का मूल - प्रधान कारण - है ॥ ३२ ॥ अथवा यह जो आक्षेप - आशंका - की गई है वह पिसे हुए को पुनः पिसने के समान २९) 1 P Dविफलम्. 2 जिनेश्वराणाम्. 3 D परार्थ निर्मापितवाणीनाम्. 4 D जलं. 5 मेघमुक्तम् 6 भुवि । ३० ) 1 [ राजा ] 2 जनने भवे, D जन्मनि 3 पद्मनाभभवे चन्द्रप्रभतीर्थंकरेण, D अष्टमतीर्थंकरदेवेन. 4 रोगपीडितानाम्. 5 सेवा 6 कृता । ३१ ) 1 वैयावृत्त्यम् 2D निमित्तम् । ३३ ) 1 प्रच्छन्नं प्रश्नम् ।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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