________________
(देव शिल्प सहस्रकूट
संवरणा
संघाटसंधिसांधार सारदारुसिद्धासन सिंह स्थानसुरवेश्मन्सुषिरसूत्रधारसूत्रारम्भ
सृधिसोपानसौधस्कन्धस्तन्मस्तम्भवेधस्थन्डिलस्थावररगरवीतिस्वयंभूहर्म्यहर्यशालहस्तांगुल
पिरामिड के आकार की एक मन्दिर अनुकति जिस पर एक सहस्त्र तीर्थंकर मूर्तियां उत्कीर्ण होती है अनेक छोटे- छोटे कलशों वाला गुम्बद छत जिराके तिर्यक रेखाओं में आयोजित भागों पर घंटिकाओं के आकार के लघु शिखर होते हैं, गूमट का ऊपर का भाग तल विभाग सांध, जोड़ परिक्रमा युक्त नागर जाति के प्रासाद श्रेष्ठ काष्ठ ध्या-1 आसन में आसीन तीर्थंकर की एक मुद्रा शुकनास देवालय पोलापन, छेद शिल्पी, मंदिर मकान बनाने वाला कारीगर नौंव खोदने के प्रारंभ में प्रथम वास्तु भूमि में कीले ठोंककर उसमें सूत बांधने का आरंभ दाहिनी ओर से गिनना सीढी राजमहल, हवेली शिखर के ऊपर का भाग थंभा, खम्भा, ध्वजादण्ड ध्वजाधार, कलावा प्रतिष्ठा मंडप में बालुका वेदी जिसके ऊपर देव को स्नान कराया जाता है प्रासाद के थर, शनिवार एक शाखा वाले द्वार अघटित शिवलिंग मकान, मध्यवर्ती तल, दक्षिण भारतीय विमान का मध्यवती भाग घर के द्वार के ऊपर का बलाणक एक हाथ के लिए एक अंगुल, दो हाथ को लिए दो अंगुल इस प्रकार जितने हाथ उतने अंगुल सात शाखा वाला द्वार कम होना, न्यून, छोटा कूट, शाला और पंजर नामक लघु मन्दिरों की पंक्ति जो दक्षिण भारतीय विमान के प्रत्येक तल को अलंकृत करती है
हस्तिनीहस्वहार