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देव शिल्प
तल का विभाग
प्रासाद की वर्गाकार भूमि के २० भाग करें। उसमें
कोण
३ भाग,
उपस्थ
भद्रार्ध
भद्रनंदी
इन अंगों का निग
तीर्थकर अनन्त नाथ अनन्त जिन बल्लभ प्रासाद
कोण के ऊपर
(प्रति) रथ के ऊपर
भद्र के ऊपर भद्र नदी के ऊपर
कोण
श्रृंग संख्या
प्रस्थ
नन्दी
भद्र
शिखर
कुल
शिखर की सज्ळा
श्रृंग संख्या पूर्वअत
१०८
२१६
११२
४५३
१६
9
३ भाग,
३ भाग,
४५३
५ भाग,
१ भाग रखें।
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;
३ क्रम चढ़ायें ३ क्रम चढ़ायें;
४ उरुश्रृंग चढ़ा २ न चढ़ायें।
सुरेन्द्र प्रासाद
इराका निर्माण अनन्त जिन वल्लभ प्रारगद के पूर्वोक्त मान से करें तथा उसमें प्रस्थ के ऊपर एक-एक तिलक चढ़ाए चढ़ावें ।
TIR
तिलक संख्या
प्रस्थ
८
४४७
अनन्त जिनवल्लभ प्रासाद