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(देव शिल्प
( ४३१]
तीर्थकर अभिनन्दन नाथ अभिनन्दन जिन वल्लभ प्रासाद
कर्ण
तल का विभाग प्रासाद की वकार भूमि के १८. भाग करें, जिसमें -
३ भाग प्रतिकर्ण
३ भाग भट्राध
३ भाग करें। निर्गहस्तांगल प्रगा। रखें।
कर्ण को पर प्रतिकर्ण के ऊपर भद्रके ऊपर
शिखर की सजा २ क्रा| फेरी एवं सर्वतोभद्र चढ़ावें २ क्रम केशरी एवं रायतोभद्र चढ़ायें तथा एक तिलक चदा २ श्रृंग चढ़ावें तथा एकः तिलक चढ़ा
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कुल श्रृंग संख्या पा
तिरूपः संख्या १२
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